जलवायु परिवर्तन की चेतावनी?
सैंटियागो यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक राउल कोर्डेरो के अनुसार यह घटना सीधे जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है या नहीं, कहना जल्दबाजी होगी। फिर भी मौसमीय मॉडल बताते हैं कि अटाकामा जैसे अति-शुष्क क्षेत्रों में भविष्य में बारिश और बर्फबारी की घटनाएं बढ़ सकती हैं। एल नीनो जैसी मौसमी घटनाएं भी ऐसे बदलावों में भूमिका निभा सकती हैं।
खगोलविदों के लिए स्वर्ग है यह जगह
अटाकामा में सालाना औसतन 1 मिलीमीटर से भी कम बारिश होती है। कुछ इलाकों में हज़ारों सालों से बारिश नहीं हुई। ऊंचाई और साफ आसमान के कारण यह जगह खगोल विज्ञान के लिए आदर्श मानी जाती है और खगोलविदों के लिए यह जगह स्वर्ग मानी जाती है। नासा जैसी एजेंसियां इसे मंगल जैसे वातावरण के अध्ययन के लिए प्रयोग करती हैं।
पहले भी हुए हैं ऐसे करिश्मे
2011 और 2015 में अटाकामा के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश और बर्फ दर्ज की गई थी लेकिन अल्मा परिसर में यह पहली बार हुआ है। 2015 की बारिश के बाद रेगिस्तान में जंगली फूलों की चादरें उग आई थीं, और पूरा इलाका गुलाबी-बैंगनी रंगों से भर गया था।