संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख के दौरे के बाद लिया गया फैसला
श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क के दौरे के एक दिन बाद आया है, जिन्होंने श्रीलंका में सेना के कब्ज़े वाली उन जमीनों को लौटाने की अपील की थी जो तमिलों की हैं।
अभी भी सेना का 3,000 एकड़ ज़मीन पर कब्ज़ा
पूर्व तमिल सांसद एमए सुमंथिरन ने कोर्ट में याचिका दायर कर इसे ‘जमीन हड़पना’ बताया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले अधिग्रहण न करने का आश्वासन दिया था लेकिन इस आश्वासन को पूरा नहीं किया। सुमंथिरन ने दावा किया है कि अब भी जाफना में सेना ने तमिलों की करीब 3,000 एकड़ ज़मीन पर कब्ज़ा बनाया हुआ है। विस्थापित हुए थे लाखों तमिल
उत्तर श्रीलंका के जाफना और आस-पास के इलाके दशकों तक चले तमिल अलगाववादी संघर्ष के केंद्र रहे हैं, जिसका अंत 2009 में हुआ था। इस दौरान लाखों तमिल विस्थापित हुए, हज़ारों की जमीनों के दस्तावेज खो गए और 2004 की सुनामी ने हालात और खराब किए। यूएन के अनुमान के मुताबिक युद्ध में एक लाख लोगों की मौत हुई थी। अंतिम महीनों में मारे गए करीब 40,000 तमिल नागरिक श्रीलंकाई सेना की कार्रवाई में मारे गए बताए जाते हैं। तुर्क ने युद्ध अपराधों की जांच और दोषियों को सजा देने की मांग की है।