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कभी अल-कायदा का आतंकी था यह राष्ट्रपति, अब ट्रंप ने मिलाया हाथ

Trump’s Middle East Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय मिडिल ईस्ट देशों के दौरे पर हैं। इस दौरान उनकी मुलाकात एक ऐसे राष्ट्रपति से भी हुई जो कभी अल-कायदा का आतंकी था।

भारतMay 15, 2025 / 10:45 am

Tanay Mishra

Donald Trump shakes hand with Ahmed al-Sharaa

Donald Trump shakes hand with Ahmed al-Sharaa

अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) 13 से 16 मई के दौरान मिडिल ईस्ट देशों (Middle East Countries) के दौरे पर हैं, जो उनके दूसरे कार्यकाल का पहला राजकीय दौरा है। मिडिल ईस्ट देशों के दौरे के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति सबसे पहले सऊदी अरब (Saudi Arabia) पहुंचे। सऊदी अरब से ट्रंप कतर (Qatar) पहुंचे। दोनों देशों के साथ ट्रंप ने कई अहम डील्स की। अपने इस दौरे के आखिरी पड़ाव पर ट्रंप, संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates – UAE) जाएंगे। मंगलवार को ट्रंप ने सऊदी अरब में एक इंवेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए सीरिया (Syria) पर लगे प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान किया। इसके एक दिन बाद ही ट्रंप ने सीरियाई राष्ट्रपति से मुलाकात की।

पूर्व अल-कायदा आतंकी से ट्रंप ने मिलाया हाथ

ट्रंप ने बुधवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा (Ahmed al-Sharaa) से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने हाथ भी मिलाया और कई विषयों पर बातचीत की। गौरतलब है कि अल-शरा एक समय अल-कायदा (al-Qaeda) का आतंकी था।


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अमेरिका ने रखा था इनाम

अल-शरा, अमेरिका की आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। 2006 से 2011 तक अल-शरा अमेरिका की जेल में बंद था। उसके बाद आतंकवाद की दुनिया में बढ़ती उसकी गतिविधियों के चलते अमेरिका ने उस पर 10 मिलियन डॉलर्स का इनाम भी रखा था, जिसकी वर्तमान में भारतीय करेंसी में वैल्यू करीब 85 करोड़ रुपये है।

अल-कायदा से सीरिया के राष्ट्रपति तक का सफर

अल-शरा का जन्म 29 अक्टूबर 1982 को सऊदी अरब के रियाद में गोलान हाइट्स के एक सीरियाई सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था। बाद में वह अपने परिवार के साथ सीरियाई राजधानी दमिश्क चला गया और वहीं पला-बढ़ा। अल-शरा ने 2003 में अमेरिका के इराक पर किए हमले से कुछ समय पहले ही आतंकी संगठन अल-कायदा जॉइन किया था। अमेरिकी सेना ने उसे 2006 में इराक में पकड़ा था और 2011 तक वह अमेरिका की कैद में ही रहा।

अमेरिका से छूटने के बाद अल-शरा ने सीरियाई गृहयुद्ध में असद शासन की खिलाफत के लिए अल-कायदा के समर्थन से 2012 में अल-नुसरा फ्रंट बनाया। अल-नुसरा फ्रंट के चीफ के रूप में अल-शरा ने उत्तर-पश्चिमी इदलिब प्रांत में एक गढ़ बनाया। जब अबू बकर अल-बगदादी ने अल-नुसरा फ्रंट को इस्लामिक स्टेट के मिलाने की कोशिश की, तब दोनों समूहों के बीच जंग छिड़ गई। हालांकि अल-शरा को अल-नुसरा फ्रंट को एक स्वतंत्र समूह रखने में कामयाबी मिली।

2016 में अल-शरा ने अल-कायदा के साथ अल-नुसरा के संबंध तोड़ दिए। अल-कायदा से नाता तोड़ने के बाद उसने खुद के बारे में अधिक उदार दृष्टिकोण पेश करके पश्चिमी देशों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय जिहाद छोड़ते हुए सीरिया के अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के इरादे से सीरिया में शासन पर ध्यान केंद्रित किया। इसके लिए उसने 2017 में अल-नुसरा को अन्य संगठनों के साथ मिलाकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का गठन किया। उसके बाद से ही उसने असद की सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी। अल-शरा ने नवंबर 2024 में असद शासन के खिलाफ 11-दिवसीय आक्रमण शुरू किया, जिसमें सीरिया के कई शहरों में उसे जीत हासिल हुई। 8 दिसंबर 2024 को असद के रूस भाग जाने के बाद एचटीएस ने सीरिया में तख्तापलट कर दिया।

अल-शरा 8 दिसंबर 2024 से 29 जनवरी 2025 तक सीरिया के क्रांतिकारी कार्यवाहक सरकार का नेता रहा। 29 जनवरी को ही उसे सीरिया का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था। सीरियाई राष्ट्रपति के तौर पर अल-शरा अपने देश की स्थिति सुधारने और उसे वापस ट्रैक पर लाने की कोशिश में लगा हुआ है।

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