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वाराणसी के पुरोहित शुभम तिवारी के अनुसार मां बगलामुखी (वल्गामुखी) और ब्रह्मास्त्र रूपिणी स्तंभिनी देवी का प्रिय रंग सुनहरा और पीला है। इसलिए इन्हें पीतांबरा के नाम से भी जाना जाता है। ये उपासकों की कठिनाइयों को नष्ट करने के लिए एक गदा या हथौड़े का इस्तेमाल करती हैं।
शत्रु के हमले को रोकने के लिए क्या करें
शत्रु द्वारा किसी तंत्र मंत्र को समाप्त करने के लिए भगवति बगलामुखी का अभिषेक पहले सरसों के तेल से करके स्तोत्र पढ़कर फिर दुग्धादि से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा अलग- अलग कामना के लिए माता के अलग-अलग मंत्र और स्तोत्र तथा हवन, अभिषेक द्रव्य हैं ।
षटत्रिंशदक्षर बगलामुखी मंत्र
माता बगलामुखी का नाम दो शब्दों बगला और मुखी से बना है। बगला एक कोर्ड (तंतु) है, जिसे जीभ की गति को नियंत्रित करने के लिए मुंह में रखा जाता है, जबकि मुखी, चेहरे के लिए बोला गया है। इस बगलामुखी मंत्र में मां एक क्रोधित देवी के रूप याद की जाती हैं, जो अपने दाहिने हाथ से गदा चलाती हैं और एक राक्षस को मारती है और उसकी जीभ को अपने बाएं हाथ से बाहर निकालती है। आइये पढ़ते हैं मां बगलामुखी मंत्रबगलामुखी विनियोग मंत्र
ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि त्रिष्टुप छन्दः श्रीबगलामुखी देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्तिः प्रणवः कीलकं श्री महामाया बगलामुखी देवता वरप्रसाद सिद्धि द्वारा मम सन्निहितानाम् असन्निहितानां विरोधिनां दुष्टानां वाङ्मुखबुद्धीं गतिं स्तंभनार्थे जिह्वां कीलनार्थे सर्वोपद्रव शमनार्थे ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग ।ऋष्यादिन्यास
शिरसि नारदऋषये नमः । मुखे – त्रिष्टुप्छन्द से नमः । हृदि बगलामुख्यैनमः । गुह्ये ह्रीं बीजाय नमः । पादयोः स्वाहा, शक्तये । प्रणव कीलकाय नमः सर्वाङ्गे ।षडङ्गन्यास
ॐ ह्रीं – अगुष्ठाभ्यां नमः । हृदयाय नमः । बगलामुखी तर्जनीभ्यां नमः । शिरसे स्वाहा । सर्वदुष्टानां – मध्यमाभ्यां नमः । शिखायै वषट् । वाचं मुखं पदं स्तंभय – अनामिकाभ्यांनमः । कवचाय हुँ । जिह्वां कीलय – किनिष्ठिकाभ्यां नमः । नेत्रत्रयाय वौषट् । बुद्धि विनाशय ह्री ॐ स्वाहा, करतल पृष्ठाभ्यां नमः । अस्त्राय फट् ।ध्यानं
मध्ये सुधाब्धि मणिमण्डप रत्नवेद्यां, सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णी ।पीताम्बराभरण माल्य विभूषिताङ्ग, देवीं भजामि धृतमुद्गर वैरिजिह्वाम् ॥1॥
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रून् परिपीडयन्तीं ।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ॥2॥
षटत्रिंशदक्षर बगलामुखी जप मंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय । जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ॥
नोटः कई साधक दुर्गा के बाकी नर्वाण मंत्र की तरह ही इस मंत्र को जप कर सिद्ध करते हैं। इस मंत्र को सवालाख बार जपने से हर इच्छा पूरी होती है।
बगलामुखी मंत्र का जाप कैसे करें
बगलामुखी मंत्रों को करने का सबसे अच्छा समय सुबह 4 बजे से 6 बजे का ब्रह्म मुहूर्त है। स्नान करने के बाद आसान पर बैठ जाएं। मां बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर पर पीले फूल से पूजा करें। अगर मूर्ति या तस्वीर नहीं है तो मानसिक रूप से मां का ध्यान कर उनके नाम से पीला फूल चढ़ा दें। अब एक जप माला पर जप शुरू करें। माता आपको सफलता देंगी।