दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं इस दिन पूजा से
Purnima Par Kya Kare : अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। वैशाख पूर्णिमा 12 मई 2025 को मनाई जाती है। इस दिन लोग सत्यनारायण कथा सुनते हैं, चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।ऐसा कहा जाता है जो लोग इस पवित्र दिन का उपवास रखते हैं, उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं। साथ ही उनके घर पर माता लक्ष्मी का वास सदैव के लिए हो जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति और परिनिर्वाण हुआ था। अतः हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध जयंती मनाई जाती है।
गंगा स्नान का बड़ा महत्व
इस अवसर पर लोग गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही पूजा-पाठ कर दान-पुण्य करते हैं। इस दिन गौतम बुद्ध की शिक्षाओं के पालन से सीख लेते हैं और उनकी विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन दिनों में स्नान-दान, व्रत और पूजा करने से पूरे वैशाख मास में किए गए शुभ कामों का पुण्य मिलता है।स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड के अनुसार वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियां अक्षय पुण्य देने और हर तरह के पाप खत्म करने वाली होती हैं। इसलिए इन्हें पुष्करिणी कहा गया है। इनमें शनिवार को त्रयोदशी, रविवार को चतुर्दशी और सोमवार को पूर्णिमा रहेगी।
भगवान के तीन अवतार
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार ग्रंथों के अनुसार इन तीन दिनों में भगवान विष्णु के तीन अवतार अवतरित हुए हैं। त्रयोदशी को नृसिंह जयंती, चतुर्दशी को कूर्म जयंती तथा पूर्णिमा को बुद्ध जयंती (बुद्ध पूर्णिमा)। इसलिए वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन जरूर करना चाहिए।बुद्ध पूर्णिमा पर क्या करें
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियों में गीता पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। इन तीनों दिनों में श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से कभी न खत्म होने वाला अनंत गुना पुण्य फल मिलता है। वैशाख पूर्णिमा को हजार नामों से भगवान विष्णु का दूध और जल से अभिषेक करता है उसे बैकुण्ठ धाम मिलता है। वैशाख के आखिरी तीन दिनों में श्रीमद्भागवत सुनने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।चंद्रमा को अर्घ्य देने की है परंपरा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म मानने वाले आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं। वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।बुद्ध पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा की शुरुआत 11 मई की शाम 8:02 बजे से शुरू होगी और समापन 12 मई रात 11:26 बजे पर होगी।। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी।बुद्ध पूर्णिमा पर रवि योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन रवि योग है। रवि योग सुबह 5:32 बजे से बनेगा, जो सुबह 06:17 बजे तक रहेगा। रवि योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं।बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में श्रेष्ठ मानी गई है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है।वैशाख पूर्णिमा पूजा अनुष्ठान
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में पवित्र स्नान करें, जो लोग गंगा नदी स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, वे घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं। कुछ लोग इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य प्रमुख स्थानों पर भी जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गंगा जल शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है।पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करना चाहिए। इस दिन भक्त सत्यनारायण व्रत रखते हैं, और उनकी पूजा करते हैं। पूर्णिमा का दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि चंद्रमा की रोशनी सीधे पृथ्वी पर आती है, जिससे घर में समृद्धि और खुशी का वास होता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन खिलाना चाहिए और वस्त्रों का दान करना चाहिए।