राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जनवरी से दिसंबर 2024 तक ढाई ग्राम के 4.47 करोड़ से अधिक कीमत वाले इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन तथा 5 ग्राम वाले 2 करोड़ 70 लाख से अधिक कीमत के इंजेक्शन प्रदान किए।
क्या है ऑटो इम्यून बीमारी
डॉ. जोशी के अनुसार किसी व्यक्ति के शरीर में बाहरी संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए जरूरी रोगप्रतिरोधक श्वेतकण (एन्टी बॉडी) कभी-कभी शरीर के ही ऊतक -कोषों को नष्ट करने लगती है , इसे ही ऑटो इम्यून बीमारी कहा जाता है। ऐसे में प्रभावित ऊतक और कोशिकाओं की कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है। जिससे कभी-कभी मरीज गंभीर स्थिति में भी पहुंच सकता है। जिन मरीजों को इस इंजेक्शन को देने की जरूरत होती है वे गंभीर स्थिति में होते हैं।