मामले के तहत एनआरआई पंकज त्रिवेदी स्वाध्याय परिवार से जुड़े थे। आरोपी भी इसी परिवार से जुड़े हुए हैं। गुजरात में वर्ष 2001 में आए भूकंप के समय उन्होंने विदेश से काफी फंड एकत्र किया था। इस फंड के हिसाब के बारे में त्रिवेदी ने स्वाध्याय परिवार में पूछताछ शुरू की थी। कई एनआरआई ने दान दिया था, उसके बावजूद उन्हें रसीद नहीं दी गई थी। इस मुद्दे को उन्होंने उठाया था।
इससे स्वाध्याय परिवार के कई अनुयायी त्रिवेदी से नाराज हो गए थे। उन्होंने त्रिवेदी के सामने शिकायतें दाखिल की थी। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शिकायतें की थीं। त्रिवेदी ने परिवार में चल रही गड़बडि़यों परआवाज बुलंद की। पांडुरंग शास्त्री की भतीजी उर्फ दीदी को मिलने की कोशिश की लेकिन वे उन्हें मिल नहीं पाए। उन्होंने एक पत्रिका भी शुरू की थी।
त्रिवेदी 30 साल से स्वाध्याय परिवार के साथ जुड़े थे। उन्होंने खुद के ऊपर हमले का भय जताते हुए उस समय के सीएम और पुलिस प्रशासन को पत्र भी लिखा था। उसमें उन्होंने खुद की हत्या होने के संबंध में 30 लोगों के नाम देकर उन्हें जिम्मेदार मानने की बात कही थी।
एलिसब्रिज जिमखाना के पास हुई थी हत्या
15 जून 2006 को पंकज त्रिवेदी की हत्या के लिए आरोपियों ने षडयंत्र रचा और पकवान रेस्टोरेंट के पास इकट्ठे होने के बाद सभी गुजरात कॉलेज पहुंचे थे। यहां एलिस ब्रिज जिमखाना क्लब से जैसे ही पंकज त्रिवेदी बाहर निकले तभी आरोपियों ने हथियारों व बेसबॉल स्टिक से हमला कर उनकी हत्या कर दी। इस मामले में चौकीदार ने शिकायतकर्ता बन एफआईआर दर्ज कराई। यहां से कुछ देर में एक पुलिसकर्मी गुजरा तो उसे एक लड़के ने बताया कि जिमखाना के पास खड़ी दो कारों के बीच एक व्यक्ति लहूलुहान हालत में पड़ा है। आरोपियों ने त्रिवेदी पर 20 वार किए थे। इस मामले में 2009 में अहमदाबाद शहर सत्र अदालत में केस दाखिल हुआ।
इन आरोपियों को हुई सजा
मुख्य सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने बताया कि जिन दस आरोपियों को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई है उनमें चंद्र सिंह जाडेजा, हितेश सिंह चुड़ास्मा, दक्षेश शाह, भूपत सिंह जाडेजा, मानसिंह वाढेर, घनश्याम सिंह चुडास्मा, भरत भट्ट, भरत सिंह जाडेजा, चंद्रकांत डाकी व जशूभा जाडेजा शामिल हैं।