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अजमेर

राजस्थान में यहां फिर खुला रामसेतु, कोर्ट के आदेश के बाद एलिवेटेड ब्रिज पर शुरू हुआ आवागमन

Ajmer News: आरएसआडीसी की परियोजना निदेशक चारू मित्तल की ओर से दायर शपथ पत्र में कहा गया है कि वह प्रकरण के तथ्यों से अवगत है। सोनीजी की नसियां वाली भुजा की आंशिक क्षतिग्रस्ता सुधार दी गई है।

अजमेरJul 12, 2025 / 09:49 am

Anil Prajapat

Ram-Sethu

रामसेतु ​ब्रिज से बैरिकेड हटाने ट्रैफिक पुलिसकर्मी। फोटो: पत्रिका

अजमेर। अदालत ने रामसेतु को फिर से आमजन के लिए खोलने के आदेश दिए हैं। आरएसआरडीसी की परियोजना निदेशक ने अदालत में शपथ पत्र दायर कर ब्रिज को आवागमन के लिए सुरक्षित बताया है। अदालत के आदेश की पालना में शाम को ही प्रशासन ने ब्रिज को खुलवा दिया।
आरएसआडीसी की परियोजना निदेशक चारू मित्तल की ओर से दायर शपथ पत्र में कहा गया है कि वह प्रकरण के तथ्यों से अवगत है। सोनीजी की नसियां वाली भुजा की आंशिक क्षतिग्रस्ता सुधार दी गई है। शेष तीन भुजाएं आमजन के आवागमन के लिए सुरक्षित हैं। सिविल न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने उक्त शपथ पत्र को रिकार्ड पर रखते हुए एलिवेटेड ब्रिज पर पुन: नियमानुसार आवागमन संचालित किए जाने के आदेश दिए।
साथ ही जिला प्रशासन को यह भी निर्देश दिए हैं कि प्रकरण में संबंधित अंतिम रिपोर्ट आने तक आमजन की सुरक्षा के लिए विशिष्ट कदम उठाएं। ब्रिज के प्रमुख स्थानों पर आपातकालीन हैल्पलाइन मेबर सार्वजनिक सूचना बोर्ड लगाकर प्रदर्शित किए जाए तथा हैल्पलाइन को असल मायनों में प्रभावी भी किया जाए।

टेस्ट कराने के बाद ही दिया जा सकेगा शपथ पत्र

मामले की सुनवाई के दौरान प्रकरण में वाद-प्रभारी प्रेमशंकर शर्मा से अदालत ने सवाल किया कि यदि ब्रिज को वर्तमान में खोलने के आदेश दिए जाते हैं तो क्या ये आमजनता के हित में होगा, और क्या जनता का आवागमन सुरक्षित होगा तो शर्मा ने बताया कि वे निरीक्षण के बाद ही बता सकते हैं। अदालत ने पुन: सवाल किया कि यदि प्रेमशंकर अदालत में हलफनामा दायर कर आश्वास्त करे कि ब्रिज यातायात संचालन के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित व संरक्षित है तो प्रेमशंकर ने शपथ-पत्र पेश करने में असमर्थता जताई और कहा कि लोड बेयरिंग, सॅयोल, स्ट्रक्चर, मैटेरियल टेस्ट के बाद ही ब्रिज की सुरक्षा के बारे में शपथ पत्र दे सकते हैं।

दूसरे अधिकारी को भेजा

आदेश के दौरान ही नगर निगम की ओर से अधिवक्ता विभोर गौड ने अदालत को अवगत कराया कि आरएसआरडीसी की परियोजना निदेशक को जिला कलक्टर ने शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया है वह कुछ ही देर में हाजिर होकर शपथ पत्र दे देंगी। इसके बाद उक्त अधिकारी ने शपथ पत्र दाखिल किया।

आदेश पर जताई आपत्ति

इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन व स्मार्ट सिटी की ओर से नियुक्त किए अधिवक्ता उरप्रीत सिंह अदालत में तर्क दिया कि पूर्व में जारी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले उन्हें नहीं सुना गया। साथ ही प्रार्थीगण ने एलिवेटेड रोड को बंद करने का अनुतोष ही नहीं मांगा था परंतु अंतरिम आदेश में एलिवेटेड रोड को ही बंद कर दिया गया।

इन्होंने की पैरवी

ब्रिज की सड़क धंसने को लेकर प्रार्थी जिनेश धनवानी और मुकेश पुरी की ओर से पूर्व लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने वाद दायर किया था। बाद में डॉ राजकुमार जयपाल ने अधिवक्ता अशोक सिंह रावत के जरिए पक्षकार बनने की अर्जी दायर की। अदालत ने प्रकरण को जनहित याचिका मानते हुए 9 जुलाई को जिला प्रशासन की ओर से जवाब आने तक ब्रिज पर आवागमन रोकने के आदेश दिए थे।

शपथ पत्र का विरोध

प्रार्थीगण की ओर से जरिए अधिवक्ता इसका विरोध करते हुए अदालत को बताया कि ब्रिज को लेकर लोकायुक्त के समक्ष प्रस्तुत प्रकरण में परियोजना निदेशक चारू मित्तल के नाम समन जारी है इसलिए उनके कथन को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता।

अदालत ने जताया आश्चर्य

शपथ पत्र को लेकर अदालत ने आदेश में लिखा है कि यह आश्चर्य का विषय है कि ब्रिज की जांच करने वाली कमेटी की रिपोर्ट को तैयार करने वाले प्राधिकारी प्रेमशंकर शर्मा ने अदालत में शपथ पत्र पेश करने से इंकार कर दिया है जबकि आरएसआडीसी की परियोजना निदेशक चारू मित्तल ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिया।

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