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पेट्रोल की लत से पीड़ित दिव्यांग बालक, उपचार और सहायता को तरस रहा परिवार

मालाखेड़ा उपखंड क्षेत्र की दादर ग्राम पंचायत में रह रहे एक गरीब मजदूर परिवार का दिव्यांग बालक तस्लीम इन दिनों पेट्रोल की लत से जूझ रहा है। सुनने और बोलने में अक्षम यह बालक अब इतनी गंभीर लत का शिकार हो चुका है कि बिना पेट्रोल की गंध के ठीक से सांस भी नहीं ले सकता।

अलवरApr 22, 2025 / 04:02 pm

Rajendra Banjara

पेट्रोल की गंध लेता बालक तस्लीम

मालाखेड़ा उपखंड क्षेत्र की दादर ग्राम पंचायत में रह रहे एक गरीब मजदूर परिवार का दिव्यांग बालक तस्लीम इन दिनों पेट्रोल की लत से जूझ रहा है। सुनने और बोलने में अक्षम यह बालक अब इतनी गंभीर लत का शिकार हो चुका है कि बिना पेट्रोल की गंध के ठीक से सांस भी नहीं ले सकता।

करीब पांच साल पहले रामगढ़ के चिड़वाई सिरमौर गांव से आकर दादर में बसे अख्तर खान का परिवार जमीन और मकान के बिना रिश्तेदारों द्वारा खड़ी की गई एक झोपड़ी में गुजर-बसर कर रहा है। लेकिन अब इस परिवार की सबसे बड़ी चिंता है उनका बेटा तस्लीम, जिसे बचपन में घर की मोटरसाइकिल के पास बैठकर पेट्रोल की गंध लेने की आदत लगी, जो अब एक खतरनाक लत बन चुकी है।

पेट्रोल की गंध है लेता

तस्लीम का हाल यह है कि वह जब तक नाक और मुंह से पेट्रोल की तीव्र गंध नहीं लेता, तब तक न तो उसे चैन मिलता है और न ही वह सामान्य रूप से चल फिर पाता है। पेट्रोल के बिना उसका रहना लगभग असंभव हो चुका है। खाने-पीने की ओर भी उसका ध्यान नहीं जाता।
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अपने पिता के साथ बैठा बालक
तस्लीम के माता-पिता आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और मां का कहना है कि उनके पास बच्चे के इलाज का कोई साधन नहीं है। दूसरी ओर बालक के नाम न तो यहां राशन कार्ड है और न ही कोई स्थानीय पहचान पत्र, जिससे किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा।
पेट्रोल पंप के कर्मचारी अब्दुल ने बताया कि तस्लीम कभी-कभी किसी के साथ पेट्रोल पंप पर आ जाता है और पेट्रोल की बोतल को नाक से लगाए बैठा रहता है। यह आदत अब उसकी जान पर भारी पड़ सकती है।

लीवर को गंभीर नुकसान

खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. लोकेश मीणा का कहना है कि पेट्रोल की गंध से फेफड़े और लीवर को गंभीर नुकसान हो सकता है। तस्लीम के उपचार की आवश्यकता है और यदि परिवार अस्पताल में संपर्क करता है, तो विभाग हर संभव सहयोग प्रदान करेगा।
इस पूरे मामले ने न केवल बालक की पीड़ा को उजागर किया है, बल्कि पंचायत और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। पांच वर्षों से रह रहे परिवार का अभी तक राशन कार्ड नहीं बनना और सरकारी सहायता से वंचित रहना, एक बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। अब यह जरूरी है कि प्रशासन इस मामले का संज्ञान लेकर तस्लीम के इलाज और परिवार की मदद के लिए त्वरित कदम उठाए।

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