तामीलों के लिए स्टाफ नहीं
थाने में पोक्सो एक्ट, एससी-एसटी अपराध एवं अन्य राज्यों की तामीलेें आती हैं। न्यायालय के स्थायी वारंट पर भी त्वरित कार्य करने में परेशानी आती है। अगर कोई थाने का स्टाफ अवकाश या तामील में जाता है तो अन्य काम ठप हो जाते हैं। आए दिन होने वाले धरना-प्रदर्शन आदि में थानों से जाब्ता लगाया जाता है। इसके कारण प्रो-एक्टिव पुलिसिंग में परेशानी के साथ ही पुलिसकर्मियों के रूटीन अवकाश भी प्रभावित हो रहे हैं।अनुसंधान अधिकारी के 149 पद रिक्त
जिले में हर साल करीब 12 हजार आपराधिक मामले दर्ज होते हैं। अनुसंधान अधिकारी के 242 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 149 पद रिक्त हैं। आपराधिक मामलों की जांचें प्रभावित हो रही हैं। कई मामलों में अनुसंधान में देरी के परिवादी को समय पर न्याय भी नहीं मिल पाता है। पुलिस पर काम का बोझ भी बढ़ रहा है।कहां कितनी नफरी की कमी
कोतवाली थाने में 105 पुलिसकर्मियों का स्टाफ स्वीकृत है, इसमें से 74 कार्यरत हैं, जबकि 31 पुलिसकर्मी कम हैं। इसी तरह शिवाजी पार्क थाने में 50 में से 35, एनईबी में 51 में से 46, अरावली विहार में 52 में से 51, वैशाली नगर में 60 में से 33, रामगढ़ में 49 में से 41, नौगावां में 44 में से 33, बगड़ तिराहा में 45 में से 33, सदर में 56 में से 51, विजय मंदिर थाने में 30 में से 28 और अकबरपुर थाने में 59 में से 30 की नफरी उपलब्ध है।जबकि थानागाजी थाने में 43 में से 31, प्रतापगढ़ में 36 में से 26, राजगढ़ में 59 में से 43, रैणी में 38 में से 30, टहला में 37 में से 23, लक्ष्मणगढ़ में 50 में से 36, गोविंदगढ़ में 43 में से 39, खेरली में 50 में से 33, कठूमर में 64 में से 25, बहतुकलां में 44 में से 20, महिला थाने में 24 में से 20 और साइबर थाने में 12 पद स्वीकृत है, लेकिन 10 कर्मचारियों का स्टाफ काम कर रहा है। वहीं, केवल एमआईए, मालाखेड़ा और बड़ौदामेव में स्वीकृत नफरी उपलब्ध है।