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अब पशुओं का मांस खाने के बाद नहीं होगी गिद्धों की मौत, क्या है कारण? 

राजस्थान के 23 जिलों में 7 विभिन्न प्रजातियों के 5,080 गिद्ध हैं। इसमें 1,086 लंबी चोंच वाले गिद्ध, 325 सफेद पीठ वाले गिद्ध, 84 लाल सिर वाले गिद्ध, 2,413 मिस्र के गिद्ध और 1,172 प्रवासी गिद्ध यानी हिमालयन ग्रिफॉन, यूरेशियन ग्रिफॉन और सिनेरियस गिद्ध शामिल हैं। मालूम हो कि दर्द निवारक दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से देश में 5 करोड़ से ज्यादा गिद्धों की तीन दशक में मौत हो चुकी है।

अलवरMar 06, 2025 / 12:28 pm

Rajendra Banjara

अब पशुओं का मांस खाने के बाद गिद्धों की मौत नहीं होगी। उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने पशुओं के लिए दो दर्द निवारक दवाओं के प्रयोग की संस्तुति की है। इन दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव गिद्धों पर नहीं होगा। आईवीआरआई ने भारत सरकार को इन दवाओं के प्रयोग कराने का सुझाव दिया है।

पशुओं के लिए दर्द निवारक दवाओं में डाइक्लोफिनेक, एसिक्लोफेनिक, कीटोप्रोफेन प्रयोग में ली जा रही थी, जिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। हाल ही में निमेसुलाइड दवा पर भी प्रतिबंध लग गया है। इसका उत्पादन व बिक्री नहीं होगी। इस दवायुक्त मांस को खाने पर गिद्धों की तेजी से मौत हो रही थी।

आईवीआरआई के मुताबिक, दवायुक्त मांस खाने से गिद्धों की मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ा। इस मांस से गिद्ध को गाउट बीमारी हो रही थी। यूरिक एसिड के क्रिस्टल लिवर में चुभने लगे। किडनी खराब होने से उनकी मौत होने लगी। इन दवाओं पर बैन के बाद भी गिद्धों की मौत हो रही थी। अब हाल ही में पता चला कि पशुओं को दी जा रही दर्द निवारक दवा निमेसुलाइड भी गिद्धों की मौत की वजह बन रही है। उसे भी बैन कर दिया गया।

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अध्ययन के बाद सामने आए नतीजे

अब सवाल खड़ा हुआ कि आखिर पशुओं को दर्द निवारक दवा के रूप में क्या दिया जाएगा। इसी को देखते हुए आईवीआरआई ने अध्ययन किया और अब नतीजा सामने आया है। आईवीआरआई के शोध के नतीजों के आधार पर पशुओं को मैलोक्सीकैम व टोलफेनामिक एसिड दवा दी जा सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दवायुक्त मांस खाने से गिद्धों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। गिद्धों की किडनी खराब नहीं होगी।

7 प्रजातियों के 5,080 गिद्ध

राजस्थान के 23 जिलों में 7 विभिन्न प्रजातियों के 5,080 गिद्ध हैं। इसमें 1,086 लंबी चोंच वाले गिद्ध, 325 सफेद पीठ वाले गिद्ध, 84 लाल सिर वाले गिद्ध, 2,413 मिस्र के गिद्ध और 1,172 प्रवासी गिद्ध यानी हिमालयन ग्रिफॉन, यूरेशियन ग्रिफॉन और सिनेरियस गिद्ध शामिल हैं। मालूम हो कि दर्द निवारक दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से देश में 5 करोड़ से ज्यादा गिद्धों की तीन दशक में मौत हो चुकी है।

डाइक्लोफिनेक, एसिक्लोफेनिक, कीटोप्रोफेन, निमेसुलाइड दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह दवाएं गिद्धों की मौत की वजह बन रही थीं। इनके विकल्प के रूप में पशुओं को दर्द निवारक दवाओं के रूप में मैलोक्सीकैम व टोलफेनामिक एसिड दी जा सकती हैं। इसका प्रभाव गिद्धों पर नहीं होगा। – डॉ. अभिजीत पावड़े, प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक, आईवीआरआई वन्य प्राणी विभाग बरेली

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