अध्ययन के बाद सामने आए नतीजे
अब सवाल खड़ा हुआ कि आखिर पशुओं को दर्द निवारक दवा के रूप में क्या दिया जाएगा। इसी को देखते हुए आईवीआरआई ने अध्ययन किया और अब नतीजा सामने आया है। आईवीआरआई के शोध के नतीजों के आधार पर पशुओं को मैलोक्सीकैम व टोलफेनामिक एसिड दवा दी जा सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दवायुक्त मांस खाने से गिद्धों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। गिद्धों की किडनी खराब नहीं होगी।7 प्रजातियों के 5,080 गिद्ध
राजस्थान के 23 जिलों में 7 विभिन्न प्रजातियों के 5,080 गिद्ध हैं। इसमें 1,086 लंबी चोंच वाले गिद्ध, 325 सफेद पीठ वाले गिद्ध, 84 लाल सिर वाले गिद्ध, 2,413 मिस्र के गिद्ध और 1,172 प्रवासी गिद्ध यानी हिमालयन ग्रिफॉन, यूरेशियन ग्रिफॉन और सिनेरियस गिद्ध शामिल हैं। मालूम हो कि दर्द निवारक दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से देश में 5 करोड़ से ज्यादा गिद्धों की तीन दशक में मौत हो चुकी है।डाइक्लोफिनेक, एसिक्लोफेनिक, कीटोप्रोफेन, निमेसुलाइड दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह दवाएं गिद्धों की मौत की वजह बन रही थीं। इनके विकल्प के रूप में पशुओं को दर्द निवारक दवाओं के रूप में मैलोक्सीकैम व टोलफेनामिक एसिड दी जा सकती हैं। इसका प्रभाव गिद्धों पर नहीं होगा। – डॉ. अभिजीत पावड़े, प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक, आईवीआरआई वन्य प्राणी विभाग बरेली
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