खेरली अस्पताल में संंसाधनों का अभाव, ऑपरेशन थियेटर दो दशकों से बंद खेरली. कस्बे में उप जिला अस्पताल होने के बावजूद यहां मरीज पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। करोड़ों की राशि स्वीकृत होने के बावजूद अभी कोई सुविधाएं शुरू नहीं हुई है। अस्पताल उप जिला अस्पताल घोषित होने के बावजूद सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है। लगभग 15 वर्षो से स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं सर्जन का पद खाली है। इससे ऑपरेशन थियेटर दो दशक से बंद है। स्त्री रोग विशेषज्ञ के अभाव में प्रसव बहुत कम मात्रा में होते हैं। पर्याप्त स्थान नहीं होने के कारण 50 बेड के अस्पताल में 30 बेड लगे हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सकों को ओपीडी में बैठने के लिए जगह नहीं है। एक कक्ष में दो-दो अथवा तीन चिकित्सक बैठते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ एक ही कक्ष में बैठते हैं। दंत चिकित्सकों में केवल एक चिकित्सक कक्ष में बैठता है। बाकी दो चिकित्सक कभी आयुर्वेदिक चिकित्सक कक्ष में तो कभी अन्य बैठते हैं।
अन्य सुविधाओं भी नहीं लैब में कई जांच की सुविधा नहीं है। हालांकि प्रति दिवस 150 से अधिक मरीज जांच कराते हैं, जिनकी 450 के लगभग जांच की जाती है। अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है। केवल ब्लड स्टोरेज यूनिट है। जिसमें ब्लड लिया नहीं जा सकता। आवश्यकता पड़ने पर बाहर से ब्लड मंगवाया जाता है। क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल होने के बाद भी मुर्दाघर में डी िफ्रज नहीं है। इस कारण कई बार पोस्टमार्टम के लिए शव रखा जाता है, जो डी िफ्रज के अभाव में खराब हो जाता है। अस्पताल में प्लास्तर कक्ष नहीं है। फ्रेक्चर आदि के मरीजों को तुरंत रेफर करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त उप जिला अस्पताल घोषित होने के बावजूद एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी जांच की सुविधा नहीं है।
उप जिला अस्पताल प्रभारी, खेरली डॉ. अंकित जेटली का कहना है कि इन दिनों मौसमी बीमारियों के मरीजों की अधिकता है। इनमें प्रतिदिन 1300 की ओपीडी में 80 प्रतिशत मरीज खांसी, जुकाम, बुखार के है। बाकी उल्टी-दस्त के है।
…………… अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, मरीज परेशान अकबरपुर. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इन दिनों मौसमी बीमारियों के चलते जहां रोगियों की भीड़ लग रही है, वहीं डॉक्टरों की कमी मरीजों को खल रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इन दिनों आउटडोर 300 के करीब पहुंच रहा है। यहां डॉक्टर दो ही रह गए हैं, जबकि पांच डॉक्टरों की पोस्ट है। उनमें पहले तीन डॉक्टर थे, लेकिन अब एक डॉक्टर का यहां से स्थानांतरण होने पर अब दो ही रह गए हैं। इनमें एक डॉक्टर बैठक, वीडियो कांफ्रेंस में चले जाते हैं। जहां एक डॉक्टर के भरोसे ही अस्पताल संचालित है। उन्हें मरीजों को देखना पड़ता है। अधिक समस्या रात्रि में आती है। रात्रि में भी एक डॉक्टर की ड्यूटी होना जरूरी है।
अकबरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आसपास करीब दो दर्जन से भी अधिक गांव जुड़े हुए हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी से समस्या बनी हुई है। ग्रामीण राकेश एवं ममता सोनी का कहना है कि रोजाना अस्पताल में काफी भीड़ रहती है। काफी इंतजार के बाद डॉक्टर को दिखाने का नंबर आता है। डॉक्टरों की संख्या और बढ़ाई जाए तो राहत मिले। महिला डॉक्टर भी नहीं है। जिसके कारण महिलाओं को उपचार कराने में हिच-किचाहट होती है। यहां डॉक्टरों की संख्या बढ़नी चाहिए। इस बारे में संबंधित अधिकारियों से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो पाई।
…………… ओपीडी में 80 प्रतिशत मरीज आ रहे बुखार, सर्दी, जुकाम, गले में खराश के राजगढ़. दिन में तापमान बढ़ने व रात में ठण्डक के चलते सीएचसी में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही ओपीडी 1600 के पार पहुंच गई है। वायरल बुखार, जुकाम, खांसी, गले में खराश, बदनदर्द से पीड़ित मरीज चिकित्सालय पहुंच रहे हैं। सुबह से ही पर्ची कटवाने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लग जाती हैं। चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ. रमेश मीना ने बताया कि करीब 80 प्रतिशत मरीज वायरल बुखार, खांसी, जुकाम से पीड़ित मरीज आ रहे हैं।
चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरसी यादव ने बताया कि मौसम बदलने से खांसी, जुकाम, गले में खराश के 70 प्रतिशत एवं बुखार के 30 प्रतिशत मरीज आ रहे हैं। चिकित्सालय में 721 प्रकार की दवा उपलब्ध हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि ओपीडी में प्रतिदिन करीब 250 बच्चें खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश, श्वास लेने में परेशानी एवं निमोनिया से ग्रसित होकर आ रहे हैं। प्रतिदिन 15 -20 बच्चों को भर्ती किया जा रहा हैं। निमोनिया आदि से पीड़ित बच्चें को अन्य बच्चों से दूर रखने की सलाह दी। बच्चों को फल खिलाए, पानी पिलाए, बीमार होने पर आराम कराए और ओआरएस का घोल व तरल पदार्थ दें।