टू-व्हीलर सेगमेंट की बिक्री में 7.71% का इजाफा
FY25 में दोपहिया वाहनों की बिक्री में 7.71% की वृद्धि देखी गई, हालांकि यह आंकड़ा अनुमानित दो अंकों की ग्रोथ से थोड़ा कम रहा। इस कमी के पीछे ग्रामीण इलाकों में सीमित वित्तीय सहायता, ओबीडी2 नियमों की लागत में बढ़ोतरी, और बाजार में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर का बढ़ता दबाव शामिल रहा है।
कमर्शियल व्हीकल्स सेगमेंट रहा लगभग स्थिर
कमर्शियल वाहनों की बिक्री FY25 में -0.17% रही, यानी यह सेगमेंट लगभग बिना किसी बदलाव के रहा। इसका मुख्य कारण खराब मौसम, लोन प्राप्त करने में कठिनाई और ग्राहकों की मांग में अस्थिरता रही है। ये भी पढ़ें- पार्ट टाइम डिलीवरी हो या कॉलेज जाना, इन 7 स्कूटर्स को चलाने के लिए नहीं चाहिए लाइसेंस ग्रामीण बाजार बना ग्रोथ का आधार
ग्रामीण क्षेत्रों ने FY25 में ऑटो रिटेल की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई। ग्रामीण इलाकों में दोपहिया वाहनों की बिक्री में 8.39% की वृद्धि हुई, जो शहरी वृद्धि (6.77%) से अधिक थी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में तीन-पहिया वाहनों की बिक्री में 8.70% की तेजी रही, जबकि शहरों में यह आंकड़ा मात्र 0.28% रहा है। ग्रामीण इलाकों में पैसेंजर वाहनों की बिक्री में 7.93% की ग्रोथ दर्ज की गई, जो शहरी ग्रोथ (3.07%) से कहीं बेहतर थी।
अप्रैल 2025 के लिए क्या हैं उम्मीदें?
FADA का मानना है कि अप्रैल 2025 थोड़ा अनिश्चित रह सकता है। गर्मी बढ़ने की चेतावनी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की टेंशन से ग्राहक कम शोरूम आ सकते हैं। हालांकि अक्षय तृतीया और बैसाखी जैसे त्योहारों से थोड़ी मांग बनी रह सकती है।
FY26 के लिए अनुमान
FADA ने अगले वित्तीय वर्ष यानी FY26 के लिए टू-व्हीलर सेगमेंट में मिड से लेकर हाई सिंगल डिजिट ग्रोथ की उम्मीद जताई है, जबकि पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल्स में लो सिंगल डिजिट ग्रोथ की उम्मीद है। डीलर्स को इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती दिलचस्पी और नए लॉन्च से उम्मीदें हैं, लेकिन वित्तीय सहायता और वाहनों की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय बनी रहेंगी।
मार्च 2025 की बिक्री का हाल
मार्च 2025 में रिटेल बिक्री में साल-दर-साल (YoY) 0.7% की गिरावट देखी गई, हालांकि महीने-दर-महीने (MoM) आधार पर सभी सेगमेंट्स में 12% की वृद्धि हुई। टू-व्हीलर की बिक्री YoY आधार पर 1.7% घटी, जबकि PV की बिक्री में 6% और CV की बिक्री में 2.6% की बढ़त हुई। MoM आधार पर सभी सेगमेंट्स में अच्छी रिकवरी देखी गई, खासकर आखिरी हफ्ते में त्योहारों और साल के अंत में होने वाली खरीदारी के चलते।