आइएमए ने चिकित्सकों को सतर्क रहने और जेएन.1 वेरिएंट से जुड़े लक्षणों के लिए मरीजों की निगरानी करने की सलाह दी है। इनमें भूख न लगना, हल्का बुखार या सर्दी, गले में खराश, नाक बंद होना या नाक बहना, सूखी खांसी, सिरदर्द, थकान, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं और उल्टी शामिल हैं।
लोगों को सलाह है कि वे तीन दिनों से ज्यादा समय तक 102 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार fever , सांस लेने में तकलीफ breathing issue या सीने में दर्द और दबाव जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। ऑक्सीजन oxygen के स्तर में 94 प्रतिशत से कम की गिरावट भी हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।चिकित्सकों से कहा गया है कि वे मरीजों को पर्याप्त आराम करने और हाइड्रेटेड रहने की सलाह दें। लोगों को एहतियात के तौर पर पैरासिटामोल और खांसी की दवाएं अपने पास रखने की भी सलाह दी गई है।