फरवरी में मेट्रो किराया वृद्धि के बाद ग्रीनपीस इंडिया की ओर से हाल में कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक बेंगलूरु मेट्रो किराया वृद्धि ने 72.9 प्रतिशत लोगों को प्रभावित किया है। यादृच्छिक रूप से चुने गए 505 उत्तरदाताओं में से 68 प्रतिशत ने कहा कि उनकी यात्रा महंगी हो गई है और 16 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक परिवहन के किसी अन्य सस्ते साधन को अपना लिया है। करीब 13 प्रतिशत ने कहा कि वे पैदल चलना पसंद करते हैं और 11 प्रतिशत ने सड़कों पर अधिक भीड़ की शिकायत की। सार्वजनिक परिवहन निर्भर महिलाओं ने मेट्रो के बजाय अन्य विकल्पों को चुना। 38.2 उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने अपनी गैर-आवश्यक यात्रा कम कर दी है। कुछ उत्तरदाताओं (5 प्रतिशत) ने अपने कार्यस्थल या कॉलेज के पास शिफ्ट होने की योजना बनाई।
कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने वृद्धि को अन्यायपूर्ण बताया और अधिकारियों से इसे वापस लेने का आग्रह किया। 86.7 प्रतिशत ने कहा कि अगर सार्वजनिक परिवहन अधिक किफायती और सुविधाजनक होता तो वे इसका उपयोग करते।सर्वेक्षण में शामिल 40.4 प्रतिशत उत्तरदाता मेट्रो का उपयोग परिवहन के अपने प्राथमिक मोड के रूप में करते हैं जबकि 62.9 प्रतिशत लोग सार्वजनिक परिवहन यानी मेट्रो और बसों में सफर करते हैं। इनमें से 73.4 प्रतिशत ने परिवहन पर वे परिवहन पर दैनिक 50-150 रुपए खर्च करते हैं। 68 प्रतिशत यात्रियों ने कहा कि किराया वृद्धि ने मेट्रो यात्रा को महंगा बना दिया। बढ़ती परिवहन लागत के कारण 75.4 प्रतिशत लोगों ने गैर-आवश्यक यात्राओं में कटौती की है। 38.2 प्रतिशत महिलाओं ने बेंंगलूरु में मेट्रो किराया वृद्धि के कारण अपनी गैर-जरूरी यात्रा को कम कर दिया है।