मंडी में करीब एक पखवाड़े पूर्व तक लहसुन के उच्चतम भाव 29 से 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक थे। वह लुढकऱ 22 से 23 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर आ गए है। निकटवर्ती मध्यप्रदेश की लहसुन मंडियों में नए लहसुन की दस्तक भी हो चुकी है। एमपी की जावरा व जलोदा मंडियों में ऊटी किस्म के नए लहसुन की दस्तक हो चुकी है। हालांकि नया लहसुन भी ऊपर में 17 से 18 हजार रुपए प्रति क्विंटल ही बिक रहा है। यदि मावठ की बरसात नही होती तो एमपी की मंडियों में 15 जनवरी से लहसुन की अच्छी आवक होने लग जाती।
स्टॉकिट््स का माल आया लहसुन के स्टॉकिट््स व्यापारी तथा बड़े किसान जिन्होंने भावों में अच्छी तेजी को लेकर लहसुन का स्टॉक कर रखा था। अब गिरते भावों व आगामी स्थिति को देखते हुए लहसुन को निकालना शुरु कर दिया है। इसके चलते बारां लहसुन मंडी में भी गत एक सप्ताह से लहसुन की आवक में इजाफा हुआ है।
इसलिए गिरे भाव लहसुन के भावो में मंदी को लेकर लहसुन व्यापार संघ के अध्यक्ष जगदीश बंसल ने बताया कि चोरीछुपे तथा अफगानिस्तान के नाम से देश के बाजार में चाइना का लहसुन सेन्टरों पर पहुंच रहा है। जो कि दिल्ली तथा सिलीगुड़ी पहुंचता है। इसके भाव यहां के लहसुन से 30 से 35 प्रतिशत कम रहते हैं तथा दिखने में भी अच्छा है। वहीं एमपी में करीब डेढ़ माह पूर्व लहसुन की बुवाई कर दी जाती है। जो बाजार में जल्द ही आ जाता है।
यह चल रहे भाव मंडी में शनिवार को लहसुन के उच्चतम भाव 22 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल तक रहे। लॉटरी लहसुन 9 से 11 हजार, लड्डू 11 से 15 हजार, फूलगोला 15 से 18 हजार तथा बोम साइज 18 से 23 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव से बिकवाली हो रही है।
इस बार बढ़ गया रकबा जिले में इस बार लहसुन का रकबा गत वर्ष की तुलना में करीब 6 हजार हैक्टेयर में बढ़ा है। गत वर्ष जहां 32 हजार हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई की गई थी। वही इस बार जिले में करीब 38 हजार 800 हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई की गई है। रकबा बढऩे से भी कारोबार में असर दिखाई दे रहा है।