बाड़मेर। शहर के गडरारोड स्थित महावीर वाटिका परिसर में पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति के तत्वावधान में आचार्य जिन मणिप्रभ सूरीश्वर व आचार्य जिन कलाप्रभ व साध्वी डॉ. विधुत्प्रभा, साध्वी कल्पलता के सानिध्य में बाड़मेर व बीकानेर की दो बेटियों ने सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम का मार्ग अपनाने के लिए दीक्षा ली। आचार्य जिन मणिप्रभ अब तक देशभर में 157 सदस्यों को दीक्षा दिला चुके हैं। आचार्य जिन मणिप्रभ ने कहा कि कई जन्मों के पुण्य से संयम का पथ मिलता है। बाड़मेर धर्म-आराधना की तपस्या में हमेशा अग्रणी रहा है।
पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक मांगीलाल बोथरा ने बताया कि महावीर वाटिका में शुभ मुहूर्त में मुमुक्षु चित्रा पारख व मुमुक्षु सेजल बोथरा को विधि-विधान व मंत्रोच्चार के साथ दीक्षा प्रदान की गई। जैसे ही खरतरगच्छाधिपति ने दीक्षा के मंत्रोच्चार के साथ रजोहरण प्रदान किया, वैसे ही चित्रा पारख व सेजल बोथरा खुशी से झूम उठीं। कुछ समय पहले तक जो स्वर्ण आभूषण और महंगे वस्त्रों के साथ नजर आ रही थीं, वो अब साध्वी अर्पणनिधि व साध्वी साहित्यनिधि श्वेत वस्त्रों में नजर आईं। दोनों साध्वियों ने साध्वी कल्पलता का शिष्यत्व स्वीकार किया।
ये भी हुए आयोजन
पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति व लाभार्थी परिवार पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार बाड़मेर-सांचोर ने दीक्षा महोत्सव में सहयोग करने वाले सहयोगियों का बहुमान किया गया।
दोनों ने की पांच हजार किमी विहार यात्रा
1. सेजल बोथरा अब साध्वी साहित्यनिधि : बाड़मेर शहर निवासी सेजल बोथरा अब साध्वी साहित्यनिधि के नाम से जानी जाएंगी। सेजल के पिता पवनकुमार बोथरा व भाई जतिनकुमार व्यापार करते हैं। सेजल के परिवार में पहले किसी ने दीक्षा नहीं ली है। आचार्य जिन मणिप्रभ सागर व साध्वी कल्पलता सेे प्रेरित होकर दीक्षा ली। सेजल ने बीकॉम किया है। वहीं 13 साल वैराग्य काल व पांच हजार किमी की विहार यात्रा के बाद सेजल ने दीक्षा ली है।
2. चित्रा पारख अब साध्वी अर्पणनिधि : बीकानेर निवासी चित्रा पारख अब साध्वी अर्पणनिधि के नाम से जानी जाएंगी। चित्रा पारख के पिता सुनिल पारख व माता निर्मलादेवी हैं। पिता लेखक व संगीतकार हैं। वे चार बहन हैं। चित्रा ने एमकॉम किया है। साध्वी कल्पलता के साथ सात साल से साथ हैं। चित्रा ने चार साल वैराग्यकाल व पांच हजार किमी की विहार यात्रा के बाद दीक्षा ली है।