इधर, लीला की क्रेडिट का ऑपरेटिव सोसायटी में अटकी हुई राशि के लिए भी कलक्टर ने प्रयास तेज किए हैं। बालोतरा-बाड़मेर राजस्थान पत्रिका में ‘लीला के कटे हाथ कहां-कहां जुड़वाओगे… कितनी बार रुलाओगे’ और इसके बाद शृंखलाबद्ध समाचारों के प्रकाशन के बाद में राजपूत समाज के दो भामाशाह आगे आए। उद्यमी समंदरसिंह नौसर और जोगेन्द्रसिंह चौहान ने 11 लाख रुपए इस बेटी के लिए देने की घोषणा की।
समंदरसिंह नौसर ने पत्रिका को बताया कि समाज में बेटी के दोनों हाथ नहीं है, यह जानकर मुझे काफी चिंता हुई। बेटियां हमारे लिए वरदान हैं। हम मां की पूजा करने वाले लोग हैं। बेटी की जितनी मदद होगी की जाएगी। इधर,
बाड़मेर के जोगेन्द्रसिंह ने पत्रिका को कहा कि बेटी की मदद करने के संस्कार हमारे समाज में हमेशा रहे हैं। समाज की इस बेटी के लिए हम दोनों मिलकर 11 लाख रुपए देंगे ताकि बेटी की शादी के लिए पिता तैयारी करें। यह राशि उनको घर पहुंचाई जाएगी।
करंट लगने से कटे हाथ
गौरतलब है कि लीला पुत्री भूरसिंह हापों की ढाणी के दोनों हाथ 2003 में करंट से कट गए थे। इसके बाद उसे किसी तरह की मुआवजा राशि नहीं मिली। पत्रिका ने इस मुहिम को छेड़ा तो 2017 में उसे काफी संघर्ष बाद 4.5 लाख की मुआवजा राशि और 1.5 लाख समाज के सहयोग से मिले, जिसको एक क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी में जमा करवा दिया। यह सोसायटी बंद हो गई और लीला के पैसे इसमें अटक गए। इसके बाद लीला के लिए कोर्ट ने 7.68 लाख रुपए देने के आदेश किए लेकिन भुगतान नहीं हुआ। लीला ने कलक्टर के सामने आकर आंसू बहाए तो पत्रिका ने फिर से मुहिम शुरू की। इस श्रृंखला के बाद दोनों भामाशाहों ने मदद की।