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बाड़मेर में शहीद की बेटी से हो रहा ‘खेल’, 3 साल से काट रही चक्कर, कब मिलेगी सरकारी नौकरी?

Barmer News : बाड़मेर में एक शहीद की बेटी तीन साल से नौकरी के लिए चक्कर काट रही है। जानें पूरा मामला।

बाड़मेरMar 25, 2025 / 12:12 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Barmer a Martyr Daughter is being Played Running Around for 3 Years when will She Get a Government Job
Barmer News : बाड़मेर में एक शहीद की बेटी तीन साल से नौकरी के लिए चक्कर काट रही है। पहले पुलिस विभाग ने करीब दो साल तक सारी प्रक्रिया के बाद मना कर दिया और अब सहकारिता महकमे में एक साल से मामला अटका हुआ है। सैनिक कल्याण बोर्ड, जिला कलक्टर और संभागीय आयुक्त से फाइल जयपुर में विभाग में जाकर अटक जाती है।

सहकारिता विभाग में मंत्री की स्वीकृति का इंतजार

असम में ऑपरेशन राइनों में बाड़मेर के नागणेच्यां ढूढ़ा निवासी उगमसिंह 31 अगस्त 2000 को शहीद हो गए। राज्य सरकार की ओर शहीद परिवारों को आश्रित अनुकंपात्मक नियुक्ति देने का प्रावधान है। शहीद की पुत्री ज्योति के स्नातक पूर्ण होने के बाद सरकार के नियमों के मुताबिक सैनिक कल्याण बोर्ड के मार्फत पुलिस इंटेलिजेंस में सहायक उप निरीक्षक पद के लिए आवेदन किया। एक साल की प्रक्रिया के बाद पुलिस विभाग ने नियमों का हवाला देते हुए इन्हें नौकरी देने से मना कर दिया। इसके बाद सहकारिता विभाग में निरीक्षक पद के लिए आवेदन किया। आवेदन सैनिक कल्याण बोर्ड के जरिए जिला कलक्टर की स्वीकृति के बाद संभागीय आयुक्त के पास पहुंचा। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सहकारिता विभाग में मंत्री की स्वीकृति के इंतजार में है।

संघर्ष करना पड़ रहा…

शहीद की वीरांगना हूं। इकलौती बेटी को नौकरी दिलाने के लिए तीन साल से चक्कर काट रही हूं। सपूर्ण दस्तावेज जमा करवा दिए, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं मिली है।
किरण कंवर, वीरांगना
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बाड़मेर में महज तीन आश्रितों को मिली अनुकंपा नौकरी

बाड़मेर जिले में 30 शहीद परिवार हैं। महज तीन आश्रितों को अनुकंपा नौकरी मिली है। अन्य सभी की फाइलें सरकारी दफ्तरों में धूल फांक रही हैं। आश्रितों को अनुकंपा नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
कैप्टन हीर सिंह भाटी, जिलाध्यक्ष, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद
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पुलिस में नौकरी से मना होने पर सहकारिता में किया आवेदन

हमारे यहां से दो बार फाइल गई है। पहले पुलिस में और दूसरी बार सहकारिता विभाग में। पुलिस में नौकरी से मना होने पर सहकारिता में आवेदन किया। जयपुर विभाग में फाइल है।
विक्रमसिंह, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी

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