दरअसल गांव में रहने वाले प्रहलाद, भंवर और हीरालाल की यह कहानी है। तीनों गांव में ही परिवार के साथ रहते थे और मजदूरी करते थे। लेकिन मजदूरी करते हुए भी पढ़ाई जारी रखी। बारहवीं की परीक्षाएं देने के बाद तीनों ने तैयारी शुरू कर दी। सबसे पहले सबसे बड़े भाई प्रहलाद ने अपने मौसा से संपर्क किया। वे सेना में थे। मौसा ने तीनों भाईयों को देशभक्ति का रास्ता दिखाया और सेना में आने के लिए प्रेरित किया।
मजदूरी के साथ-साथ तीनों ने मेहनत जारी रखी। उसके बाद सबसे पहले प्रहलाद का सेना में चयन हो गया। वह 2018 में नियुक्त हुआ। उसके बाद 2019 में छोटा भाई भंवराराम भी सेना में चला गया और वहां सेवाएं देने लगा। बड़ा भाई श्रीनगर और छोटा भटिंडा में तैनात है। दोनों भाईयों को देखते हुए तीसरे भाई हीराराम ने भी सेना का रास्ता चुना। कुछ दिन पहले ही उसका भी सेना में चयन हो गया है। वर्तमान में वह हैदराबाद में ट्रेनिंग कर रहा है। परिवार में खुशी का माहौल है। पूरे गांव को अपने बच्चों पर गर्व है।