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बस्सी

वर्षा जल संरक्षण योजनाएं बनी मजाक, लाखों खर्च फिर भी ‘सिस्टम फेल’

जमीनी हकीकत यह है कि जल संरक्षण का यह अभियान केवल संदेश तक सिमट कर रह गया है। चौमूं उपखंड के कई सरकारी कार्यालयों में लाखों की लागत से स्थापित रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम या तो जर्जर हो चुके हैं या फिर शुरुआत से ही निष्क्रिय हैं।

बस्सीJul 20, 2025 / 05:36 pm

vinod sharma

Rain Water Harvesting System

वर्षा जल संरक्षण योजनाएं बनी मजाक लाखों खर्च फिर भी ‘सिस्टम फेल’

सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर वर्षा जल संचयन और भूजल स्तर सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू करती है। इस वर्ष भी ‘वंदे गंगा-जल संरक्षण अभियान’ के तहत बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, जिनमें लोगों को जल संरक्षण का संदेश देने पर जोर दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जल संरक्षण का यह अभियान केवल संदेश तक सिमट कर रह गया है। चौमूं उपखंड के कई सरकारी कार्यालयों में लाखों की लागत से स्थापित रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम या तो जर्जर हो चुके हैं या फिर शुरुआत से ही निष्क्रिय हैं।
छत से सिस्टम तक जुड़े पाइप ही टूटे
जानकारी अनुसार वंदे गंगा-संरक्षण की तरह ही गिरते भूजल स्तर को देखते हुए पूर्व सरकार ने सालों पहले बारिश के पानी के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान शुरू किया था। इसके तहत जलस्रोतों का पुनरुद्धार के साथ सरकारी कार्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए गए, जिन पर लाखों खर्च भी किए गए, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण कई जगह सिस्टम फेल हो रहे हैं तो कई जगह छत से सिस्टम तक जुड़े पाइप ही टूटे पड़े हैं। नतीजतन बारिश का पानी व्यर्थ बह रहा है।
लोगों को पानी बचाने का दे रहे संदेश
कई साल पहले चौमूं शहर के जलदाय विभाग कार्यालय, तहसील और नगरपालिका कार्यालय भवन में बरसाती पानी को सहेजने को लेकर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया था। स्थिति है कि जलदाय विभाग का सिस्टम तो पूरी तरह से खस्ताहाल नजर आ रहा है। ऊपर से टूटा पड़ा है। आधा दर्जन से अधिक पुराने भवन है, जिन्हें भी हार्वेस्टिंग से नहीं जोड़ा है। जबकि इस विभाग के नुमाइंदे लोगों को पानी बचाने का संदेश देते रहते हैं। शहर के सहायक कृषि कार्यालय, विद्युत निगम कार्यालय सहित कई सरकारी भवनों में तो हार्वेस्टिंग सिस्टम ही नहीं है। जबकि कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को बूंद-बूंद सिंचाई करने का संदेश देते है, लेकिन आश्चर्य है कि पानी सहेजने को लेकर खुद के भवनों पर सिस्टम नहीं लगवा रखा है।
Water Harvesting System

सिस्टम खराब, ध्यान ही नहीं
तहसील परिसर में वर्ष 2017 में लाखों रुपए की राशि से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया था। जो वर्तमान में खस्ताहाल पड़ा है। छत से भवन के नीचे उतर रहे कई पाइप भी सिस्टम से जुड़े हुए नहीं है। पानी सिस्टम में न जाकर व्यर्थ ही बह जाता है। इधर, नगरपालिका के भवन की बात की जाए तो चारों तरफ पाइप जरूर है, लेकिन गड्ढे तक पानी पहुंचाने के लिए बनी नालियां टूटी पड़ी है। क्षेत्र की विजयसिंहपुरा ग्राम पंचायत में भी हार्वेस्टिंग सिस्टम भी खस्ताहाल है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
…तलैया बन रहा पुलिस थाना
पुलिस थाने की बात करें तो यहां भी हार्वेस्टिंग सिस्टम छोटा है। जिससे स्थिति यह है कि अ‘छी बारिश के साथ ही थाना परिसर तलैया बन जाता है। पुलिस को मजबूरन पम्प हाउस सिस्टम से पानी को बाहर निकालना पड़ता है। पानी भरने से पुलिसकर्मियों के साथ वादी व परिवादियों को परेशानी होती है।
इनका कहना है…
थाने में हार्वेस्टिंग सिस्टम है, लेकिन बड़ा नहीं है। ज्यादा बारिश में आसपास का भी पानी थाने में आ जाता है। पंप से पानी निकलवाना पड़ता है।
प्रदीप शर्मा, थानाप्रभारी, चौमूं

अभी सिस्टम की जांच कराकर सफाई करवाते हैं। ताकि बारिश का पानी व्यर्थ नहीं बह सके।
-डॉ.विजयपाल विश्नोई, तहसीलदार, चौमूं
बारिश का पानी सहेजने को लेकर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच करवाते है।
-दिलीप कुमार, आयुक्त, नगर परिषद चौमूं

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