ट्रांसपोर्टर महेन्द्र सिंह पलसानियां, हरिनारायण चौधरी, सूर्यप्रकाश आदि ने बताया कि शाहपुरा क्षेत्र से जयपुर दिल्ली नेशनल हाईवे गुजरने व क्षेत्र में पानी की कमी के चलते लोगों का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय बन गया। यहां के ट्रक, ट्रोले जो कि एक राज्य से दूसरे राज्य में भाडे (किराया) पर माल ढुलाई का काम करते है।
ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाने वाले सुभाष पोषवाल, धोलूराम, हंसराज ने बताया कि शाहपुरा क्षेत्र के कई ट्रांसपोर्टरों ने गुजरात, इंदौर, मुम्बई, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में ट्रांसपोर्ट कंपनी खोल रखी है। जो कि कमीशन एजेंट का काम करते है। कमीशन एजेंट ट्रक व ट्रोलों में बड़ी कंपनियों से माल भरवाने का काम करते है। मोटर मालिक को भाडा दिलाने की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्ट कंपनी की होती है।
ट्रक यूनियन के पूर्व अध्यक्ष शिवराम पलसानिया, साधुराम पलसानिया ने बताया कि शाहपुरा ट्रांसपोर्ट का हब बन चुका है, लेकिन ट्रांसपोर्ट नगर का सपना अधूरा है। सरकार ने भले ही ट्रांसपोर्ट नगर स्वीकृत कर दिया है, लेकिन आज तक ट्रांसपोर्ट नगर विकसित नहीं हो पाया। वाहन मालिक सुविधाओं को मोहताज हो रहे है। ट्रांसपोर्ट के जरिए लाखों रुपए का टैक्स के रूप में राजस्व भी देते है उसके बाद भी सरकार का सुविधाएं देने की तरफ कोई ध्यान नहीं है।
ट्रांसपोर्ट नगर विकसित नहीं होने से वाहन चालक अपने वाहनों का शहर के बायपास पर हाईवे पर ही वाहनों को खड़ा करके मरम्मत आदि कार्य करवाते है। हाईवे पर वाहनों की आवाजाही लगी रहने से मिस्त्रियों के साथ हादसे होने की संभावना बनी रहती है। यहां तक की पहले कई बार हादसे घटित भी हो चुके है।
शाहपुरा क्षेत्र के लोगों का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय प्रमुख व्यवसाय बन गया है। यहां के ट्रांसपोर्ट का पूरे देश में नाम है। 2019 में बजट घोषणा और राशि स्वीकृति होने के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर विकसित नहीं होने से यहां के ट्रांसपोर्टरों के हितों के साथ धोखा है। वाहन चालक सुविधाओं के लिए मोहताज है। सरकार को प्राथमिकता से लेकर ट्रांसपोर्ट नगर को विकसित करवाना चाहिए। नगरपरिषद को बिना ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों के आवंटन निरस्त कर ट्रक व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमेटी बनाकर नए सिरे से भूखण्डों की नीलामी करनी चाहिए।
–मुकेश बड़बड़वाल, दी ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन शाहपुरा
-10 हजार से अधिक ट्रक
-10 हजार वर्कशाप व दुकानों पर कार्यरत मजदूर
-30 हजार चालक व परिचालक