धमकियों से टूटा हौसला
किशोरी के परिजन और रिश्तेदारों ने गांव के दलित समाज के लोगों को खुलेआम धमकियां दीं कि ‘हमारे रिश्तेदार आ रहे हैं, घर खाली कर दो, नहीं तो अंजाम भुगतने को तैयार रहो।’इस चेतावनी के बाद जाटव समाज के परिवारों ने लोडिंग वाहन, ट्रैक्टर-ट्रॉली और डीसीएम में अपना सामान भरकर गांव छोड़ दिया। घटना ने तब और तूल पकड़ा जब लड़की के पक्ष के लोगों ने गांव के ही युवक के साथ मारपीट की। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, लेकिन एफआईआर से ब्राह्मण समाज भड़क उठा और थाने के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। यह भी पढ़े –
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इस तनावपूर्ण माहौल का असर सामाजिक आयोजनों पर भी पड़ा। दलित समाज के रामकेश बरसेना के बेटे गोलू की बुधवार को लगन और फलदान का कार्यक्रम था, लेकिन पलायन और डर के चलते कार्यक्रम रिश्तेदारों के यहां स्थानांतरित करना पड़ा। मामला तूल पकड़ते ही बहुजन समाज के नेताओं ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात कर दलित समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। वहीं पुलिस किशोरी की तलाश में जुटी है, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
एक किशोरी की गुमशुदगी से शुरू हुआ विवाद अब सामाजिक तनाव और सामूहिक पलायन में तब्दील हो चुका है। गांव में सन्नाटा पसरा है और लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं। इस पूरे मामले ने प्रशासन की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।