असल में पंचायतें अब तक आत्मनिर्भर नहीं बन पाईं हैं। इसका नुकसान लोगों को उठाना पड़ रहा है। बड़े आयोजन गांवों में कर पाना मुश्किल है। इसके चलते विकासखंड मुख्यालयों की मदद लेनी पड़ती है। कई पंचायतों में तो विवाह जैसे आयोजनों में शामिल होने वाले लोगों को ठहराने के लिए सामुदायिक भवन तक नहीं हैं। कुछ के पास वर्षों पुराने पंचायत भवन हैं, जो जर्जर हो चुके हैं तो कुछ आबादी बढ़ने के साथ ही छोटे पढ़ने लगे हैं।
1153 अटल ग्राम सुशासन भवन
प्रदेश की 1153 पंचायतों में अटल ग्राम सुशासन भवनों का निर्माण भी कराया जा रहा है। इन पर 437.89 करोड़ खर्च आएगा। मंजूरी 2024 में दी है। 50% पंचायतों में काम शुरू भी हो चुका है। भवनों का उपयोग पंचायत प्रशासनिक कामों में करेंगी।पंचायतों में इन खामियों कोभी दूर करने की जरूरत
- पंचायतों में जो काम किए जा रहे, उसके ऑडिट को और मजबूत बनाने की जरूरत।
- 10% पंचायतों में महिला जनप्रतिनिधियों का काम पुरुष कर रहे तो कुछ में ठेकेदार हावी हैं।
- ज्यादातर पंचायतों में गंभीर अनियमितताएं जारी कराए जाने वाले काम टिक नहीं पा रहे।
- कई पंचायतों के प्रतिनिधियों से तहसीलदार वसूली नहीं कर पा रहे।