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भोपाल ने चीन में जीता दिल, विदेशी फंडिंग से होगा विकास, निवेशकों ने दिखाया इस प्रोजेक्ट में इंटरेस्ट

clean green city project: भोपाल को क्लीन-ग्रीन और जीरो वेस्ट सिटी बनाने की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। चीन में प्रजेंटेशन के बाद विदेशी संस्थाओं से फंडिंग का रास्ता खुल गया है। (foreign funding)

भोपालJul 11, 2025 / 10:31 am

Akash Dewani

bhopal global push clean green city project foreign funding china conclave

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(फोटो सोर्स- Patrika.com)

clean green city project: (हर्ष पचौरी की रिपोर्ट) क्लीन-ग्रीन भोपाल, गार्बेज फ्री सिटी, जीरो वेस्ट मैनेजमेंट जैसे सिटी डेवलपमेंट के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए नगर निगम भोपाल को बड़ी विदेशी फंडिंग (foreign funding) मिलने की उम्मीद बंधी है। चीन (China) में आयोजित चार दिवसीय अर्बन कॉन्क्लेव ऑन थिंकिंग नेबरहुड एंड सस्टेनेबल सिटीज प्रोग्राम (Urban Conclave on Thinking Neighborhood and Sustainable Cities Program) में प्रदेश से अकेले भोपाल नगर निगम का चयन किया गया है। निगमायुक्त हरेंद्र नारायण ने अर्बन डेवलपमेंट के इन प्रोजेक्ट पर चाइना कॉन्क्लेव में प्रजेंटेशन दिया।

बड़े एनजीओ ने दिखाई दिलचस्पी

इंटरनेशनल लेवल पर सिटी डेवलपमेंट आइटम में फंडिंग करने वाले बड़े एनजीओ समूहों ने भोपाल के नवाचार वाले इन प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है। निगम को संयुक्त राष्ट्र औ‌द्योगिक विकास संगठन और चाइना अर्बन सस्टेनेबल सिटी प्रोजेक्ट के बाद इन विदेशी एनजीओ से फंडिंग मिलने का रास्ता खुल गया है।

भोपाल को ये फायदा होगा

3600 करोड़ का वार्षिक बजट प्रस्तुत करने वाला भोपाल नगर निगम फिलहाल खराब माली हालत का सामना कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की फंडिंग बंद किए जाने के बाद यह स्थिति और भी ज्यादा खराब हुई है। यदि विदेशी संस्थाएं सिटी डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट पर डायरेक्ट फंडिंग करना शुरु करती है और इनकी संया में इजाफा होता है तो इसका सीधा फायदा भोपाल शहर को मिलेगा।

अन्य देशों ने भी दिखाई रुचि

निगमायुक्त हरेंद्र नारायण ने बताया कि चाइना इंटरनेशनल कॉन्क्लेव में मप्र में भोपाल निगम का चयन किया गया था। अर्बन डेवलपमेंट और नवाचार से जुड़े प्रोजेक्ट पर अनेक अतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने रुचि जताई है। यूनिडो की फंडिंग पहले से ही प्राप्त हो रही है।

अभी इन प्रोजेक्ट पर काम जारी

  • रिसाइकल हब: शहर में 12 स्थानों पर रिसाइकल हब बनाकर दोबारा इस्तेमाल योग्य सामग्री का पुर्नचकण।
  • वेस्ट मैनेजमेंट: 600 मीट्रिक टन कचरे का रियल टाइम कलेक्शन कर प्रोसेसिंग।
  • सीएनजी प्लांट: कचरे से सीएनजी बनाकर इसे विभागीय वाहनों में इस्तेमाल करना।
  • पेट्रोल-डीजल बंदी: निगम के 833 वाहनों को सीएनजी में कन्वर्ट करने का अभियान।
  • रिमेडिएट साइट: कार्बन फुटप्रिंट और ग्रीनहाउस गैस पैदा करने वाले जैविक कचरा निपटाने 36 एकड़ में साइट।
  • कोकोनट प्लांट दानापानी में 20 लाख रुपए की लागत से कोकोनट प्लांट की स्थापना।

फंड की कमी से जूझ रहे ये प्रोजेक्ट

  • इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम सिर्फ चालानी कार्रवाई होती है।
  • इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर आपात हालात में कभी मदद नहीं मिली।
  • मल्टी लेवल पार्किंग : पूरे शहर में खाली पड़ी रहती हैं।
  • पब्लिक बाइक शेयरिंग लगभग बंद हो चुकी हैं।
  • स्मार्ट सिटी एप : लोगों को इसके बारे में पता नहीं है।
  • पब्लिक हेल्प डेशबोर्ड : अनुपयोगी साबित हुई।
  • स्मार्ट एलईडी लाइटिंग: शहर की प्रमुख सड़कें तक अंधकार में।
  • स्टार्ट अप सेंटर : जिन्हें काम मिला उन्हें सब्सिडी मिलने में दिक्कतें।
  • सोलर प्लांट : निगम अपने ही भवनों में नहीं लगवा पाया।
  • मेयर एक्सप्रेस अपडेट: बंद है।
  • बायोमीथेनाइजेशन प्लांट बिट्टन मार्केट में संचालित।
  • वाईफाई बिजली पोल इंटरनेट नहीं चलता।

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