जीआइएस तक दूरी
जीआइएस के दौरान निवेशकों व बाहरी मेहमानों की नजर से बचाने के लिए भिखारियों को मुख्य क्षेत्रों से दूर रखा गया था, लेकिन अब कलेक्ट्रेट कार्यालय व सामाजिक न्याय परिसर से 500 मीटर के दायरे में ही बड़ी संख्या में भिखारी परिवार रह रहे हैं। इनमें से कई मानसिक दिव्यांग हैं।
दो एफआइआर के बाद धरपकड़ बंद
भिखारी मुक्त अभियान के लिए चार टीम बनी हैं। एयरपोर्ट से लेकर पॉलिटेक्निक, टीटी नगर तक कार्रवाई के लिए टीमें बनाई गयी हैं। इसमें वार्ड प्रभारी,सामाजिक न्याय,श्रम विभाग और महिला बाल विकास के कर्मचारी शामिल हैं। अब तक भिखारियों के संबंध में दो एफआइआर भी दर्ज हुई हैं। कोलार के आश्रय स्थल में सिर्फ भिखारी कोलार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भिखारी आश्रय स्थल में 30 की क्षमता है। यहां पांच भिखारी रह रहे हैं। मानसिक दिव्यांगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं जिला प्रशासन ने जिले में भिक्षावृत्ति प्रतिबंधित कर दिया, लेकिन बाल भिखारियों के शिक्षण-पालन के लिए जगह व व्यवस्था नहीं की। मानसिक दिव्यांग भिखारियों के इलाज के लिए भी किसी अस्पताल में अलग से कोई वार्ड नहीं है। यही वजह है कि भिखारी शहर में घूम रहे हैं।
मस्जिदों के सामने भीड़
इन दिनों रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। ऐसे में किसी भी मस्जिद के बाहर भिखारियों की भीड़ देखी जा सकती है। यहां भिखारियों का डेरा
-कोहेफिजा थाने के पास जीएडी ब्रिज के नीचे भिखारियों का परिवार रहता है। – टाइसन मेडिकल के सामने कोहेफिजा थाने के सामने भिखारी रहते हैं। – ब्रिज से नीचे चार महिलाएं वहीं रहती हैं, भिक्षावृत्ति करती है। – एयरपोर्ट रोड पर महिलाएं मानसिक दिव्यांग है और वहीं रहती है। इसके अलावा बोर्ड आफिस के पास डेरा।
भिखारियों की धरपकड़ के लिए बनाई है टीम
भिखारियों की धर पकड़ के लिए टीम बनाई गई है। भिखारियों के रखने के लिए भिक्षुक गृह नगर निगम के माध्यम से तय किया गया है। इसकी समीक्षा होगी और कार्रवाई में तेजी लाएंगे।