एमपी में न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड ने 2019 में वेतन में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी। राज्य सरकार ने अप्रैल 2024 में इसे लागू किया लेकिन एमजी टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इसपर स्टे लगा दिया था। पिछले साल 3 दिसंबर को मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 8 मई-24 के अंतरिम आदेश को निरस्त कर दिया था।
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हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ ही कर्मचारियों के वेतन और एरियर की राह भी खुल गई लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। इससे प्रदेश के लाखों श्रमिकों, कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ रहा है।
प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ भी न्यूनतम वेतन के मामले में कर्मचारियों के पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने सीएम डॉ. मोहन यादव को इस संबंध में पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कर्मचारियों के हित में निर्णय लेने को कहा है। कमलनाथ ने कहा है कि सभी बाधाएं दूर होने के बाद भी पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन देने का आदेश जारी करने में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: तीन राज्यों को जोड़ेगा 15 हजार करोड़ का यह एक्सप्रेस वे, पहाड़ चीरकर बना रहे चौड़ी सड़क बता दें कि मध्यप्रदेश न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड द्वारा श्रमिकों के वेतन में 25% बढ़ाने की सिफारिश को लागू किया जाना है। विशेषज्ञों की मानें तो प्रदेश के आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों सहित करीब 35 लाख श्रमिकों को 1 अप्रैल 2024 से ही न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन का लाभ देय होगा।