- प्रोजेक्ट में 70 फीसदी प्रभावित सरकारी जमीन पर काबिज है। प्रशासनिक रिकॉर्ड में जमीन सरकारी है और इसलिए प्रोजेक्ट को यहां फिजिबल बताया। अब जमीन पर स्लम क्षेत्र व दुकानें बनी है तो इन्हें हटाने की कवायद की जा रही है। इससे सबक ये हैं कि सरकारी जमीन पर घर-दुकान बनाने और वहां 30 से 40 साल बीताने के बावजूद आप सुरक्षित नहीं मान सकते। किसी प्रोजेक्ट में वह टूट सकता है।
- मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की एम्स से करोद व भदभदा से रत्नागिरी तिराहा तक दो लाइनों में 1074 घर-दुकानें प्रभावित है। इन्हें करीब 446 करोड़ रुपए की बड़ी राशि मुआवजे के लिए निकाली है।
- भीमनगर, वल्लभ नगर समेत 9 बस्तियों के लिए पीपीपी मोड में अरेरा हिल्स पर ही आवासीय फ्लेट बनाकर देने की योजना बनाई, उसके बाद स्लम तोडऩा तय किया।
- अन्य में ऐसा नहीं है। विस्थापन या मुआवजा को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं होने से दिक्कत है।
- भदभदा से हटाई 100 से अधिक झुग्गियों को एक लाख रुपए दिए गए थे।
प्रशासन शहर के प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन निकालने का काम करता है। इसमें सरकार की तय योजनाओं- नीतियों के अनुसार ही काम किया जाता है।
- कौशलेंद्र विक्रमसिंह, कलेक्टर