एमपी में चौथे समयमान वेतनमान के लिए अधिकारी, कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। इस संबंध में वित्त विभाग का आदेश ही उनके लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को बजट पर चर्चा के दौरान भी यह मुद्दा उठा।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने चौथे समयमान वेतनमान के मामले में राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के लिए नित नई घोषणाएं तो करती है पर उन्हें लागू नहीं करती। वेतन वृद्धि की घोषणा करती है पर लागू नहीं करती।
उमंग सिंघार ने कहा कि यही कारण है कि एमपी के कई विभागों के कर्मचारी, अधिकारी चौथे समयमान वेतनमान से वंचित हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस मामले में राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि चौथे समयमान वेतनमान का आदेश लागू क्यों नहीं किया, इस संबंध में जानकारी लेंगे।
वित्त विभाग का अड़ंगा
कर्मचारियों, अधिकारियों के चौथे समयमान वेतनमान के संबंध में वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश ही अड़ंगा बन गया है। आदेश में कहा गया है कि जिन कर्मचारियों का वेतन समयमान वेतनमान से ज्यादा है, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने वित्त विभाग के इसी आदेश पर सवाल उठाया है।
बता दें कि 2006 से पूर्व एमपी में जिन अधिकारियों- कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिल पाती थी उन्हें क्रमोन्नत वेतनमान देने का प्रावधान था। 2006 में छठवां वेतनमान लागू होने पर इसे त्रिस्तरीय समयमान वेतनमान कर दिया गया। 1 अप्रैल 2006 के बाद राज्य में 10 साल की सरकारी सेवा अवधि पूरी करने पर पहला समयमान वेतनमान, 20 साल की अवधि पर दूसरा और 30 साल की अवधि के बाद तीसरा समयमान वेतनमान दिया जाता है। पहले सिर्फ डॉक्टर्स के लिए चौथा समयमान वेतनमान लागू किया गया था। बाद में अन्य कर्मचारियों, अधिकारियों के लिए भी 35 साल की सेवा अवधि के बाद चौथा समयमान देय कर दिया गया।
विशेषज्ञ बताते हैं कि चौथे समयमान वेतनमान से कर्मचारी, अधिकारियों को खासा फायदा होगा। किसी तृतीय श्रेणी कर्मचारी का ग्रेड पे ₹3200 है और उसे चौथे समयमान वेतनमान का लाभ दिया जाए तो अगला ग्रेड पे भी बढ़कर मिलेगा। प्रचलित दर से मिल रहा महंगाई भत्ता और वार्षिक वेतनवृद्धि भी इसमें जुड़ेगी। इस तरह उनके वेतन में कम से कम ₹3000 की बढ़ोतरी होगी।