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भोपाल

एमपी में अब तक का सबसे बड़ा निवेश सम्मेलन, उम्मीदें सातवें आसमान पर

GIS 2025: उद्योग वर्ष में हो रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की उम्मीदें सातवें आसमान के पार हैं। यह समिट पिछली सात समिट से इसलिए अलग और महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मोहन सरकार एक साल से इसकी तैयारी कर रही है। 34 देशों की भागीदारी वाली इस समिट में 30 हजार निवेशक शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल के मानव संग्रहालय परिसर में इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं

भोपालFeb 24, 2025 / 10:28 am

Sanjana Kumar

GIS 2025

Global Investors Summit 2025 bhopal

GIS 2025: देश का दिल मध्यप्रदेश देश-दुनिया के निवेशकों का स्वागत करने के लिए तैयार है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पहली बार राजधानी में हो रही है। इसके लिए भोपाल सजकर तैयार है। मध्यप्रदेश की विकास यात्रा में निवेशकों को भागीदार बनाने के लिए सरकार एक साल से तैयारी कर रही है। निवेश विभाग के मुखिया खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं। वे अपनी कोर टीम के साथ अलग-अलग राज्यों और देशों में जाकर निवेशकों को मध्यप्रदेश की खूबियों के बारे में बता चुके हैं। उनसे बातचीत के बाद नीतियों में आवश्यक बदलाव कर सरल बनाया। सालभर में अब तक 4,30,615 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। इनसे 5 लाख रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। प्रदेश की जीडीपी 3.1 लाख करोड़ तक ले जाने के लिए सरकार 19 नई नीतियां जारी कर निवेशकों के लिए रियायतों की पोटली खोल चुकी है।

5 बड़े और विशेष प्रयास जिससे प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा निवेश सम्मेलन

1. पिछली समिट से कहीं ज्यादा बड़ी

यह अब तक सबसे बड़ी समिट हो सकती है। इससे पहले 2023 की आखिरी समिट में 15,42,550 करोड़ के प्रस्ताव आए। पहली समिट में आंकड़ा 1.20 लाख करोड़ था।

2. 34 देशों का भरोसा 7 देश साझेदार

समिट में 34 देश भागीदारी कर रहे हैं। पहले जापान, जर्मनी, यूके पार्टनर थे। शनिवार को रूस, कनाडा, मोरक्को और पौलेंड ने भी इसकी अनुमति दी। प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्ध।

3. पीएम, कैबिनेट और मंत्रियों की भी भागीदारी

पीएम के अलावा 2 दिन में कई मंत्री समिट में आएंगे। गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटीक, सावित्री ठाकुर, डीडी उइके भी रहेंगे। शिवराज दरभंगा में हैं, इसलिए वे शामिल नहीं हो पाएंगे।

4. 19 नीतियों का गुलदस्ता तैयार

सरकार ने 19 नई नीतियों का गुलदस्ता तैयार किया है। इसमें निर्यात, पंप स्टोरेज और घरेलू गैस वितरण जैसी कई नीतियां पहली बार बनाईं। भू आंवटन नीति में बदलाव से जमीनों की बंदरबांट खत्म की गई।

5. ब्यूरोक्रेट्स की जवाबदेही-भरोसा

इकोनॉमी बूस्टअप के लिए सीएमओ की विशेष टीम 4 साल तक निवेशकों के संपर्क में रहकर परेशानी दूर करेगी। सीएम मॉनिटरिंग करेंगे। अनुमतियां लोकसेवा गारंटी के दायरे में आने से काम की रतार बढ़ेगी।

चुनिंदा शहरों तक सीमित न रहे निवेश का असर

मध्यप्रदेश की तरह ही गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में निवेश को प्रेरित करने के लिए इन्वेस्टर्स समिट होती हैं। प्रदेश के लोगों की उम्मीद होती है कि इस निवेश से उनके इलाके का विकास होगा पर ज्यादातर राज्यों में निवेश कुछ हिस्सों तक ही सीमित रह जाता है। निवेश का पूरा फायदा प्रदेश के हर अंचल तक नहीं पहुंच पाता। देश के बीचोबीच होने और मध्यप्रदेश की भौगोलिक बनावट से ऐसी संभावना कम है। फिर भी प्रदेश को तेजी से विकसित करने के लिए सरकार को ‘एक जिला, एक उत्पाद’ की अवधारणा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हर जिले के विशिष्ट उत्पादों को पहचान कर औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने की जरूरत है।
सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो न सिर्फ स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि निवेश और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इस शुरुआत के लिए सबसे बेहतरीन अवसर हो सकता है। इसके लिए जिले में मौजूद खनिज, कृषि और अन्य कच्चे माल के वहीं मैन्युफैचरिंग यूनिट लगे। लोकल उत्पाद को दूसरे राज्य, देश और विदेशों तक पहुंचाएं। इससे लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों को भी संजीवनी मिलेगी।

1.मिलेगा निवेश खिलेगा परिवार

दबाव… कुछ ही शहरों, तक निवेश होने से वहीं औद्योगिक गतिविधि बढ़ती है। इससे वहां जनसंया दबाव बढ़ता है। इसका साइड इफेक्ट प्रदूषण, बेतरतीब बसाहट, सड़क दुर्घटना के रूप में होता है।

2. बढ़ानी पड़ रही सड़कों की चौड़ाई..

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अप्रत्याशित भार बढ़ा है। सड़क की चौड़ाई बढ़ाने को कई आवास, दुकानों को तोडऩा पड़ा है। ओवरब्रिज, अंडरपास पर करोड़ों खर्च करने पड़ रहे हैं।

3.थमे पलायन, मिले स्थानीय स्तर पर रोजगार …

जिन शहर, जिलों में निवेश कम आया या नहीं आ पाया, वहां से पलायन बढ़ गया। जिसके चलते युवा रोजगार की तलाश में तो बच्चे शिक्षा के लिए दूसरे शहर, राज्यों में पलायन करने पर मजबूर हो गए। यहां औद्योगिक गतिविधि बढ़ती तो रोजगार और स्थानीय व्यवसाय बढ़ता।

4. बने रहें संयुक्त परिवार…

इसका साइड इफेक्ट परिवारसामाजि क व्यवस्था पर भी पड़ा। पलायन से संयुक्त परिवार बिखरते चले गए।

5.मजबूत होगा ढांचा…

ऐसा मॉडल हो जिसमें निवेश छोटे शहरों और दूरदराज तक पहुंचे। परिवार की सकल आय बढ़ेगी। बुनियादी ढांचा मजबूत होगा।

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