Ramzan 2025 : चांद के दीदार से होगी माह-ए-मुबारक की आमद, जानें सहरी और इफ़्तार का सही वक़्त
Ramzan 2025: मज़हब-ए-इस्लाम के मुताबिक़, नए दिन की शुरुआत चांद दिखने से होती है। इस हिसाब से जैसे ही अगला चांद दिखेगा रमज़ान का पाक (पवित्र) महीना भी शुरु हो जाएगा।
Ramzan 2025 : मज़हब-ए-इस्लाम के मुताबिक़, नए दिन की शुरुआत चांद दिखने से होती है। इस हिसाब से जैसे ही अगला चांद दिखेगा रमज़ान का पाक (पवित्र) महीना शुरु हो जाएगा। इसी के साथ शुरु हो जाएगा, ज़ोर शोर पर इबादतों का सिलसिला, एक दूसरे को मुबारकबाद (बधाई) देने का सिलसिला। क्योंकि, चांद के दिखने पर नए महीने की शुरुआत होती है, लेकिन शुरुआती चांद काफी बारीक होता है, जिस वजह से इसका हर जगह से दिख पाना मुमकिन (संभव) नहीं होता। इसलिए मज़हब के कॉज़ी (धर्मगुरु) की ये ज़िम्मेदारी होती है कि, वो तस्दीक़ (जांच) करके लोगों को चांद होने या ना होने का ऐलान करें।
इस बात को पूरी तरह जांचने के बाद ही शहर और इलाके के क़ाजी इस बात को लोगों तक पहुंचाते हैं और जिन इलाक़ो में चांद दिख जाता है, उन लोगों को और किसी तरह के सुबूत (प्रमाण) की ज़रूरत नहीं होती, वो खुद ही अगला महीना शुरू होने की पुष्टी कर सकते हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के शहर क़ाजी मोलवी मुश्ताक़ साहब चांद की तस्दीक़ करके शहर के लोगों को बताएंगे।
वक़्त की होती है खास अहमियत
चांद के दिखने से ये बात तो साबित हो जाती है कि, रमज़ान का महीना शुरु हो गया है। लेकिन इससे ज़्यादा जरूरी होता हैं इस महीने में वक़्त का पाबंद होना। क्योंकि रमज़ान से जुड़ा हर एक अमल वक्त का पाबंद होना भी सिखाता है। इसमें लागू होने वाला हर फर्ज़ तय समय पर ही होता है, तय समय के अलावा करने पर कई काम बे मतलब रह जाते हैं, जैसे सेहरी ख़त्म होने का वक़्त, यानि जो सहरी करने का जो वक़्त दिया गया है, उसके बाद किया जाएगा, तो रोज़े का तय वक़्त पूरा नहीं होगा, जिसकी वजह से रोज़ा नही माना जाएगा।
इसके अलावा रोज़ा खोलने का वक़्त भी तय होता है, यानि जैसे ही सूरज डूबता है उससे पूरी तौर पर अंधैरा होने से पहले का वक़्त रोज़ा खोलने का होता है, अगर इस तय समय में आपने रोज़ा नहीं खोला तो आपका रोज़ा मुकरू (निराधार) हो जाएगा। वहीं इंसान को अपने रोज़े का ख़ास ख़याल रखना होता है, इसलिए रोज़दार (रोज़ा रखने वाला) वक्त का पाबंद होकर अपने रोज़े को पूरा करता है। इसके लिए पुराना तरीका ये है कि इलाके की मस्जिद से सहरी का वक़्त ख़त्म होने और रोज़ा अफ़्तार करने के वक़्त पर ऐलान किया जाता है, या तोप (पटाख़े) चलाकर, या सोशल मीडिया पर मेसेज भेजर रोज़े के पूरे वक़्त पर बताया जाता है।
इसके अलावा पूरे दिन की मालूमात कराती है जनतरी (समय सारणी) जिसके हिसाब से सूरज और चांद के निकलने और डूबने का सही वक़्त बताया जाता है, इस हिसाब से भी रोज़दार अपने रोज़ों का तय वक़्त पूरा करते हैं। लेकिन ये जनतरी कुछ दूरी के हिसाब से हदल जाती है, इसकी वजह ये है कि, ज़मीन पर हर जगह एक वक्त में सूरज की रोशनी नहीं आती, लेकिन ये जनतरी हर इलाक़े के बदले वक़्त के हिसाब से तय हो जाती है। इसी के चलते मध्य प्रदेश के हिसाब से तय वक़्त की जनतरी इस ख़बर साथ भी दी गई है, जिससे रोज़दार को रोज़े का सही वक्त पता चल सकेगा।
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