एमपी के आधा दर्जन प्रमुख शहरोें की सड़कों पर जल्द ही प्रधानमंत्री ई-बसें दौड़ेंगी। भोपाल, इंदौर जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर और सागर को कुल 552 बसें मिलेंगी। इंदौर को 150 बसें, भोपाल, जबलपुर और उज्जैन को 100-100 बसें, ग्वालियर को 70 और सागर को 32 बसें दी जाएंगी।
ई बसें केंद्र और राज्य सरकार मिलकर चलाएंगी, केंद्र 60 प्रतिशत राशि देगा जबकि राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि वहन करेगी। जून 2023 में ई-बसों का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था जोकि सितंबर में सरकार ने वापस कर दिया। बाद में नगरीय प्रशासन संचालनालय ने संशोधित प्रस्ताव भेजा जिसमें नगरीय निकायों के अनुदान से गारंटी दी गई थी। राज्य सरकार ने पिछले साल फरवरी में कैबिनेट से स्वीकृति के बाद प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया था। केंद्र सरकार ने अब टेंडर किए हैं।
अधिकारियों के अनुसार ई बसों के लिए भारत सरकार द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अब लेटर आफ इंटेंट यानि आशय पत्र की प्रक्रिया बाकी है। सरकार, कम दरों पर बसें उपलब्ध करानेवाली कंपनी की सेवा लेगी।
बता दें कि पीएम ई-बस योजना में देशभर में 10 हजार इलेक्ट्रिक बसें चलाने का लक्ष्य है। इसके अंतर्गत पीपी मॉडल पर मध्यप्रदेश में भी 552 बसें चलाई जाएंगी। बसों के लिए तैयारियां अब तेज हो गई हैं। बसों का संचालन जल्द शुरू करने के लिए ऑपरेटर–टिकटिंग एजेंसी आदि की कवायद की जा रही है।
एमपी की सभी 552 ई बसें केंद्र सरकार ही देगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार, राज्य को ई बसों के संचालन के लिए 12 साल तक ऑपरेशनल एंड मेंटेनेंस कॉस्ट भी देगी। फरवरी में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार आधा दर्जन बड़े शहरों में ई बसें चलाने का फैसला ले चुकी है।
नई इलेक्ट्रिक बसें 9 मीटर और 7 मीटर लंबाई की होंगी। 9 मीटर वाली ई बसें सिंगल चार्ज में 180 किमी चलेंगी जबकि 7 मीटर वाली बसें 160 किमी चलेंगी। इन ई बसों की बिजली सप्लाई सेपरेट रहेगी जिसका खर्च भी केंद्र सरकार उठाएगी। इस योजना में ई-बसों का धीरे-धीरे विस्तार किया जाएगा।