राज्य सरकार इस केस में सुप्रीम कोर्ट में 75 ट्रांसफर याचिकाएं लगा चुकी है। इनमें से 13 याचिकाओं पर 20 जनवरी को रोक लगा दी गई थी और 9 याचिकाओं को जल्दी सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया था। 7 फरवरी यानि शुक्रवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई। अब इन सभी याचिकाओं पर 14 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
यह भी पढ़ें: एमपी के बड़े पुलिस अधिकारी हुए लापता, पत्र में लिखा- आत्महत्या जैसी बन गई स्थिति सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय के बाद यह साफ हो गया है कि अब मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी को 27% आरक्षण का मामला दोबारा अटक गया है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। इस फैसले को एमपी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। एमपी हाईकोर्ट में इससे जुड़ी करीब 75 याचिकाएं लगाई गई थीं। इस बीच केस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
यह भी पढ़ें: एमपी में खतरनाक वायरस से फिर पसरी दहशत, मरीज में मिले नए सिंड्रोम के लक्षण शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 याचिकाओं पर कहा कि एमपी हाईकोर्ट अब इनपर सुनवाई न करें। सुप्रीम कोर्ट इससे पहले 13 याचिकाओं की भी एमपी हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा चुका है। इस प्रकार अब कुल 22 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ही सुनवाई करेगा।
यह भी पढ़ें: एमपी में शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अंकों में छूट पर भी मांगा जवाब एमपी हाईकोर्ट ने पिछले दिनों 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज किया था। इसके बाद यह बात कही जा रही थी कि प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू हो गया है। ओबीसी संगठनों द्वारा भी खुशी जाहिर की गई लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में ही इस बात का फैसला होगा।