मध्यप्रदेश में सेकेंड डिवीज़न को लेकर अलग अलग यूनिवर्सिटीज के अलग-अलग मानक हैं। इसके कारण स्कूल शिक्षा विभाग की शिक्षक भर्ती परीक्षा में विरोधाभास की स्थिति बन गई। जहां 45 प्रतिशत अंक प्राप्त करनेवाले उम्मीदवारों को सेकेंड डिवीज़न का मानकर चुन लिया गया वहीं 49 प्रतिशत वालों को थर्ड डिवीज़न करार देकर उन्हें रिजेक्ट कर दिया था।
हाईकोर्ट में कई उम्मीदवारों ने शिक्षा विभाग के इस मानक को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षक भर्ती के लिए डिवीज़न की बजाय अंकों का प्रतिशत को मानक बनाना चाहिए। कोर्ट ने 45 से 60 प्रतिशत तक को सेकेंड डिवीजन मानने को कहा है।
शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अंकों में 5 प्रतिशत की छूट नहीं देने पर भी सवाल उठाए गए हैं। हाईकोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है।
बता दें कि हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में शुरु से ही विवाद चल रहे हैं। शिक्षकों के कुल 18 हजार पदों में से 6 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया अभी तक अधूरी है।