सहकारी समिति रजिस्ट्रार की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। इसके तहत सहकारी समितियों से प्रस्ताव लिए जा रहे हैं कि वह अपने स्तर पर हैंडलिंग और परिवहन की व्यवस्था कर लें। इन प्रस्तावों को जिला कलक्टर के माध्यम से राजफैड को भेजा जाएगा। इसके बाद खरीद शुरू होने की उम्मीद है। दूसरी तरफ सरकारी खरीद शुरू नहीं होने का सीधा असर किसानों को बाजार में खुली बोली में मिलने वाले भावों पर पड़ रहा है। जिन जिलों में सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है, उनकी मंडियों में चना-सरसों की खुली बोली के भाव बीकानेर मंडी में मिल रहे भावों से ज्यादा हैं। यहां किसान खुली बोली पर अपना माल बेचने को मजबूर हैं।
कोर्ट का स्टे आने से शुरू नहीं कर पाए खरीद
सरकार ने इस बार निविदा शर्तों में बदलाव कर खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है। केवल बीकानेर जिले में टेंडर के मामले में कुछ लोग हाइकोर्ट चले गए और कोर्ट का स्टे आने से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। सहकारी समितियां प्रस्ताव दे रही हैं। कोर्ट में भी मजबूती से पक्ष रखा जा रहा है। जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया जाएगा। – राजेश टाक, अतिरिक्त रजिस्ट्रार कॉपरेटिव सोसायटी बीकानेर
मूंगफली खरीद में लूट
समर्थन मूल्य पर मूंगफली खरीद के दौरान हैंडलिंग और परिवहन ठेकेदारों ने जमकर धांधली की थी। इसके वीडियो तक वायरल हुए। किसानों से अतिरिक्त वसूली, तय से ज्यादा माल तुलाई में लेने जैसे मामले सामने आए। तब सरकार ने निविदा शर्तों में बदलाव किए थे।
मुख्यमंत्री कर चुके शुरुआत
चना और सरसों की समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की शुरुआत पिछले दिनों श्रीगंगानगर अनाज मंडी में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने की थी। इसके साथ ही 10 अप्रेल से प्रदेशभर में खरीद शुरू कर दी गई। परन्तु बीकानेर अनाज मंडी में चार दिन बाद भी खरीद शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में यहां के किसान परेशान है। औने-पौने दामों पर अपनी उपज बेच रहे है। दूसरी तरफ सरकारी खरीद शुरू नहीं होने का सीधा असर किसानों को बाजार में खुली बोली में मिलने वाले भावों पर पड़ रहा है। जिन जिलों में सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है, उनकी मंडियों में चना-सरसों की खुली बोली के भाव बीकानेर मंडी में मिल रहे भावों से ज्यादा हैं।
सतर्क रहना चाहिए था
सरकारी खरीद शुरू नहीं होने का नुकसान किसान को उठाना पड़ रहा है। उसके पास खेत में सरसों व चना निकालने के बाद सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते सीधा मंडी में माल लेकर आता है। खरीद शुरू नहीं होने से कम दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर है। अधिकारियों को पहले ही सतर्क रहना चाहिए था। विधिक राय लेकर ही काम करना चाहिए था। – शंभूसिंह राठौड़, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान संघ बीकानेर