CG News: इंटरनेशनल कार्डियोलॉजी में फेलोशिप
प्रबंधन का कहना है कि डॉक्टर नरेन्द्र की नियुक्ति हेड ऑफिस चेन्नई से हुई थी। ऑपरेशन को लेकर दस्तावेज के लिए प्रबंधन ने एक सप्ताह का समय मांगा है।
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि डॉ. यादव 1 जून 2006 से 21 मार्च 2007 तक अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में कार्यरत रहे। उन्हें कार्डियोलॉजी विभाग में परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया गया था।
उनके द्वारा प्रस्तुत सीवी के अनुसार, उन्होंने वर्ष 1996 में नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज, दार्जिलिंग से एमबीबीएस किया, 2001 में ग्लासगो (यूके) से एमआरसीपी और 2004 में आरएफयूएमएस, नॉर्थ शिकागो (यूएसए) से इंटरनेशनल कार्डियोलॉजी में फेलोशिप प्राप्त की है। अस्पताल ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला लगभग 19 वर्ष पुराना है, इसलिए कुछ अभिलेखों को ढूंढने और प्रमाणित करने में समय लग सकता है।
एमबीबीेएस छोड़़ सारी डिग्री नकली
इधर, दमोह पुलिस का दावा है कि डॉ. एन जॉन केम के जिस बायोडेटा से उसने नौकरी की, वह लंदन के एक प्रसिद्ध कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. जॉन केम से मिलता जुलता है। आरोपी ने उसमें अपना नाम और फोटो लगाया था। इसी बायोडेटा के फेर में भोपाल की एजेंसी झांसे में आई और उसे मिशन अस्पताल के लिए उसे हायर कर लिया। पुलिस एमबीबीएस डिग्री के बाद उसने नकली पहचान क्यों बनाई? इस सवाल का पता लगाने नार्को टेस्ट का सहारा लेने की तैयारी में है। दमोह पुलिस ने पीएचक्यू भोपाल से इसके लिए अनुमति भी मांगी है।
प्रयागराज के घर में मिली फर्जी सीलें
CG News: मामले में
दमोह पुलिस ने प्रयागराज स्थित घर से पुलिस ने बड़ी संख्या में फर्जी मार्कशीट, आधार कार्ड, सीडी-सील जब्त किया। उसके नौकर ने कुछ साक्ष्य खुर्दबुर्द किए हैं। फर्जी पासपोर्ट भी प्राप्त हुए हैं, जो अलग-अलग नाम से हैं। आरोपी का एक पैतृक घर ऋषिकेश में भी है। पुलिस कानपुर और आंध्रप्रदेश से भी जानकारी जुटा रही है।