नियुक्तियों में बेटा, बेटी, पत्नी और रिश्तेदारों की खुलेआम भर्ती हो रही है। आरोपों की आंच के बीच 54 पदों के लिए 2 से 6 जुलाई तक आयोजित
नॉन टीचिंग की भर्ती प्रक्रिया में हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है। इस बार सब कुछ करने वाली टीम पुरानी है, लेकिन पिछली बार तक पर्दा के पीछे से काम करने वाले को अब मुय कर्ताधर्ता बना दिया गया है ताकि अपना दामन बचाया जा सके।
GGU University: चर्चा यह भी
सीयू में टीचिंग अथवा नॉन टीचिंग पदों पर भर्ती में पैसा, परिवार और पावर यानी रायपुर या दिल्ली से फोन कराने पर छूट की सुविधा नई बात नहीं है। भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही अब यूनिवर्सिटी कैंपस में लोग एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि पुराने गेस्ट तक किसकी पहुंच है जो चयन करा दे। शहर में चर्चा है कि सालभर में जाने की तैयार कर रहे साहब दिखाने को भर्ती में जुटे हैं लेकिन असल मामला कमाई का तो नहीं है। भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी भी कानाफूसी करते हैं कि यहां से लेंगे तभी तो आगे देंगे।
मेरिट लिस्ट में सिर्फ नाम, नहीं दिखाए जाते परीक्षा में प्राप्त अंक
डिजिटल होने का दावा करने वाली सेंट्रल यूनिवर्सिटी में परीक्षा परिणाम और मेरिट लिस्ट में चयनित उम्मीदवारों के परीक्षा में प्राप्त अक तक सार्वजनिक नहीं किए जाते। भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर विश्वविद्यालय के अंदर ही खामोशी से नाराजगी पनप रही है। कर्मचारियों के परिवारजनों की लगातार भर्ती ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विश्वविद्यालय अब ‘अपनों का अड्डा’ बनता जा रहा है। जो पहले से यहां कार्यरत हैं उनके ही परिवार के सदस्यों की आखिर किस तरह से नौकरी लग रही है? भर्ती में पैसा, परिवार और पावर का बोलबाला है। एनटीए से परीक्षा क्यों नहीं?
युवाओं का कहना है कि इतनी बड़ी तादाद में कैसे यहां पहले से कार्यरत कर्मचारियों के रिश्तेदारों की नौकरी संस्थान में लग रही है? इसके अलावा आयोजित परीक्षा में
मेरिट दिखाने के लिए प्रश्न पत्र पहले से ही अपनी पसंद के उम्मीदवारों को दिए जाने की भी चर्चा है। आखिर सवाल ये है कि इतनी बड़ी परीक्षा एनटीए से क्यों नहीं कराई गई? जिसमें सीयू के कुलपति सहित कई शिक्षक पेपर बनाने जाते ही रहते हैं।
इसलिए उठ रहे सवाल
GGU University: विश्वविद्यालय द्वारा चयन सूची में केवल नाम प्रकाशित किया गया है। अभ्यर्थियों के प्राप्तांक, आरक्षण स्थिति, प्रश्नों के सही जवाब मिलान के लिए वेबसाइट पर आंसर-की तक अपलोड नहीं जाती। प्रश्न पत्र हल करने वाली शीट की कार्बन कॉपी भी मिलान के लिए उपलब्ध नहीं होती।
ये नाम जिनकी नियुक्ति पर उठ रहे सवाल..?
1 स्टोर के ओएसडी डॉ. गणेश शुक्ला की पत्नी प्रीति शुक्ला, टेक्नीकल ऑफिसर के पद पर एचआरडीसी में पदस्थ। 2 एमबीए में सहायक प्राध्यापक प्रेम शंकर द्विवेदी की पत्नी आर्ची वर्मा, सेक्शन ऑफिसर के पद पर एचआरडीसी में पदस्थ। 3 शिक्षा विभाग में सहायक प्राध्यापक मीना कुमारी पाल का भाई राजा राम पाल वीसी ऑफिस में पदस्थ। 4 मीटिंग सेल के यूडीसी डॉ. अशोक तिवारी के बेटे अतुल तिवारी की असिस्टेंट के रूप में यांत्रिकी शाखा में पदस्थ।
5 गोपनीय शाखा से सेवानिवृत कर्मचारी केके भोई की बेटी नेहा भार्गव विकास विभाग में पदस्थ। 6 यूडीसी राजेश बत्रा का बेटा यश बत्रा अकादमिक शाखा में असिस्टेंट। 7 सेवानिवृत्त संतोष तिवारी का बेटा सौरभ तिवारी बना सेक्शन ऑफिसर।
8 सहायक कुलसचिव अभयदीप तिवारी की रिश्तेदार शिवानी तिवारी। 9 बीसी बंगले में पदस्थ रसोइया मनोज उपाध्याय की बेटी रुपाली उपाध्याय, एलडीसी प्रशासन। 10 फाइनेंस विभाग के श्रीकांत कड़ेकर का बेटा प्रणय कड़ेकर, परीक्षा विभाग में क्लर्क।
11 ऑडिट ऑफिस के असिस्टेंट दिलीप गुप्ता का बेटा सत्यम गुप्ता यूडीसी। 12 प्यून गणेश प्रसाद यादव का बेटा विजय यादव बना क्लर्क। 13 सीनियर क्लर्क राजेन्द्र पोर्ते की पत्नी रितु पोर्ते सूचना प्रकोष्ठ में लगी।
14 परीक्षा विभाग के सेक्शन ऑफिसर रहे रिटायर्ड के.के. तिवारी की बेटी श्रद्या तिवारी, बनी लैब असिस्टेंट। 15 तुलवाराम सिदार का बेटा नरेन्द्र सिंह सिदार स्टोर सेक्शन में एलडीसी। 16 दैनिक वेतन भोगी महावीर यादव का बेटा सुरेश यादव एचआरडीसी में पदस्थ।
17 इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में सहायक प्राध्यापक अनुराग सिंह की पत्नी प्रथा सिंह लैब अस्सिटेंट। 18 लाइब्रेरी में कार्यरत राधेश्यान ठाकुर की बेटी ज्योति ठाकुर नियुक्त।