Delhi 2020 Released: दिल्ली दंगों पर आधारित फिल्म ‘दिल्ली 2020’ जो 2 फरवरी रविवार को रिलीज होनी थी वह अब रिलीज नहीं होगी। फिल्म को CBFC की ओर से सर्टिफिकेट नहीं मिला है। जिस वजह से फिल्म बिना सर्टिफिकेट मिले किसी भी सिनेमाघर या किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज नहीं की जा सकती। साथ ही ट्रेलर को रिलीज करने के लिए डिस्क्लेमर का उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद निर्माताओं ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि बिना सर्टिफिकेट के कुछ रिलीज नहीं किया जाएगा। वहीं, केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ CBFC की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने जस्टिस सचिन दत्ता को बताया कि सोशल मीडिया पर फिल्म के ट्रेलर को रिलीज करने के लिए CBFC सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती।
फिल्म ‘दिल्ली 2020’ पर जो रिलीज को लेकर रोक लगी है वह दिल्ली दंगों के कथित आरोपी शरजील इमाम सहित तीन लोगों ने दायर की है। पहली याचिका शरजील ईमाम, दूसरी याचिका पांच व्यक्तियों- दंगों के आरोपी तसलीम अहमद, अकील अहमद और सोनू के साथ-साथ दंगा पीड़ित साहिल परवेज और मोहम्मद अली खान ने दायर की है। वहीं तीसरी याचिका आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे निर्दलीय उम्मीदवार उमंग ने दायर की है और जस्टिस दत्ता ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया है।
फिल्म ‘दिल्ली 2020’ की रोक पर 5 लोगों ने दायर की याचिका
बता दें, एक याचिका पांच लोगों ने दायर की है। दंगा पीड़ित साहिल परवेज जिन्होंने अपने पिता को खो दिया और मोहम्मद सईद सलमान जिनकी मां को जिंदा जला दिया गया था और तीन आरोपी अकील अहमद, सोनू और तस्लीम अहमद (जो अभी भी जेल में हैं)। इमाम की याचिका में कोर्ट से निर्देश मांगा गया है कि जब तक उनका मुकदमा पूरा नहीं हो जाता, तब तक पोस्टर, चित्र और ट्रेलर जैसी सभी प्री-रिलीज़ को हटा दिया जाए या रिलीज ही न होने दिया जाए। दोनों याचिकाओं में शिकायतकर्ताओं या आरोपियों से जुड़े मामलों में मुकदमा पूरा होने तक रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई है।
बॉक्स ऑफिस के साथ ओटीटी पर भी रोक की मांग
वहीं, दिल्ली में 5 फरवरी को जो चुनाव है उसके निर्दलीय उम्मीदवार उमंग ने दायर याचिका में मांग की गई है कि सिनेमाघरों, टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफार्मों पर फिल्म रिलीज पर रोक लगाई जाए या प्रतिबंध लगाया जाए। साथ ही यूट्यूब और किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से फिल्म के ट्रेलर को हटाने का आदेश दिया जाए। उन्होंने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत फिल्म के सर्टिफिकेशन को रद्द करने और फिल्म के लॉन्च और वीडियो शेयर करने से जुड़े फिल्म निर्माताओं और अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। मिडास टच फिल्म्स और विजुअल बर्ड्स स्टूडियो, फिल्म के प्रोडक्शन हाउस, जिनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने किया उन्होंने अदालत के सामने कहा, “फिल्म 2020 के दिल्ली दंगों की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है, जैसा कि ट्रेलर में दावा किया गया है, और यह केवल “प्रेरित है और वास्तविक चित्रण नहीं है। हमने CBFC के सामने सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक उन्हें यह नहीं मिला है।”
इमाम की वकील वारिशा फरासत ने भी उठाए सवाल
मेहता और एएसजी शर्मा दोनों ने याचिकाओं की स्थिरता पर सवाल भी उठाया और कहा कि CBFC सर्टिफिकेशन के अभाव में यह समय से पहले है और आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) का सहारा लिए बिना ऐसी चुनौती नहीं दी जा सकती। वहीं अब ट्रेलर को हटाने की मांग करते हुए शरजील इमाम की वकील वारिशा फरासत ने कहा, “वह (इमाम) मुख्य व्यक्ति है जिसे ट्रेलर में दिखाया जा रहा है और ट्रेलर की शुरुआत में ही वह खुद को दिखा रहा है यह इमाम के खिलाफ बहुत गलत है, क्योंकि दृश्य का प्रभाव बेहद बड़ा पड़ता है, कृपया ट्रेलर देखें। उसमे इमाम की पहचान छिपाने की कोशिश नहीं की गई है। फिल्म में और भी पक्षपातपूर्ण चीजें हो सकती हैं।”