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किसानों को शीत लहर व पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय बताए

राज्य में चल रही शीतलहर एवं मौसम विभाग की चेतावनी के दृष्टिगत फसलों को पाले के प्रकोप से बचाव के लिए काश्तकार उद्यान विभाग द्वारा बताए गए उपायों का प्रयोग कर सकते है।

बूंदीJan 07, 2025 / 06:00 pm

पंकज जोशी

किसानों को शीत लहर व पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय बताए

कापरेन. कड़कड़ाती सर्दी में गेहूं की फसल को पानी देते किसान।

बूंदी. राज्य में चल रही शीतलहर एवं मौसम विभाग की चेतावनी के दृष्टिगत फसलों को पाले के प्रकोप से बचाव के लिए काश्तकार उद्यान विभाग द्वारा बताए गए उपायों का प्रयोग कर सकते है।

उप निदेशक उद्यान राधेश्याम मीणा बताया कि जब पाला पड़ने की संभावना हो तो खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमीयुक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम अचानक से कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीत लहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल में सिचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है, जिन भी दिनों में पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर घुनलशील गन्धक 0.2 प्रतिशत अथवा गंधक का तेजाब 0.1 प्रतिशत की दर से 1000 लीटर प्रति हैक्टेयर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए। ध्यान रखे की पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह से लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर की संभावना बनी रहे तो छिडकाव को 15-15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें।
उन्होंने बताया कि सरसों, गेहू, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक का तेजाब 0.1 प्रतिशत का छिडकाव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है, जो पौधों में रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक है,जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो उस रात 12 से 2 बजे के आसपास खेतों की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली हवा की दिशा में खेतों के किनारे, पर बोई हुई फसल के आस-पास मेडो पर कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फुस जलाकर धुआं किया जा सकता है।
इससे 4 डिग्री तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पौधशालाओं के पौधो एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों/नकदी सब्जी फासलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलिथीन अथवा भूसे से ढक देवे। वायुरोधी टांटीयां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर पश्चिम की तरफ बांधे। नर्सरी, किचन गार्डन में उत्तर पश्चिम की तरफ टॉटियां बांधकर क्यारियों के किनारे पर रात्रि में लगाये तथा दिन में पुन: हटाए।
दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्त्तर पश्चिगी मेड़ो पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानो पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजडी, अरडू एवं जामुन आदि लगा दिये जाए तो पाले और ठण्डी हवा के झौकों से फसल का बचाव हो सकता है।
किसान रात को भी कर रहे सिंचाई
कापरेन.
क्षेत्र में फसलें एक माह से अधिक की हो चुकी है और कड़कड़ाती सर्दी और गलन के मौसम में फसलों की देखभाल करना किसानों के लिए मुश्किल भरा हो रहा है। इसके बावजूद किसान सर्दी व गलन के बीच फसलो को पानी देने और रखवाली करने को मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में इस बार गेहूं, चने का रकबा सर्वाधिक है और लहसुन, मैथी, मटर आदि फसल का रकबा भी बढ़ा है। सर्दी अधिक होने से खेतों में सब्जियों की फसल प्रभावित हो रही है, लेकिन गेहूं, चना, मैथी, लहसुन की फसलों में मौसम लाभदायक है। अड़ीला किसान नरोत्तम राठौर, रमेश कुमार ने बताया कि सर्दी अधिक हो रही है और गेहूं की फसल एक माह की हो चुकी है।
ऐसे में गेंहू की फसल को पहला पानी देना लाभदायक होने और सर्दी में पाले से बचाव के लिए पानी उचित है, जिसे देखते हुए कड़कड़ाती सर्दी के बावजूद किसान पानी दे रहे हैं। वहीं जिन किसानों ने गेहूं में पहला पानी दिया है, वह भी अब खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव कर रहे हैं और खाद व उरर्वक डाल रहे हैं। किसानों का कहना है कि सर्दी के बावजूद किसान सर्दी व गलन में काम कर रहे हैं। वही रात्रि को मवेशियों से बचाव के लिए सर्द रातों में रखवाली करने को मजबूर हैं। किसानों ने बताया कि क्षेत्र में नील गाय फसलों को नुकसान पहुंचा रही है। तारबंदी होने के बावजूद नील गाय तारबंदी को कूदकर खेतों में पहुच जाती हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते है जिसके चलते इन सर्द रातों में भी रखवाली करनी पड़ रही है।

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