नए निर्देशानुसार वन सुरक्षा के लिए बनी इन समितियों के सभी पदों पर ग्रामीणों की ही नियुक्ति की जाएगी। पूर्व में इन समितियों में सचिव का पद संबंधित क्षेत्र के वनपाल के पास होता था। अब सचिव भी ग्रामीणों में से ही बनाए जा रहे हैं। वनकर्मी समिति में सदस्य के रूप में मॉनिटरिंग करेंगे। समिति में सचिव व कोषाध्यक्ष के लिए 12 वीं कक्षा पास होना भी अनिवार्य रखा गया है।
वर्तमान में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व व वनमंडल के अधीन जिले में 178 वन सुरक्षा समितियां पंजीकृत है, इनमें से 106 समितियां ही सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। रामगढ विषधारी में 38 पारिस्थितिकी विकास समितियां बनी हुई है। जबकि वन मंडल में 140 समितियां है। सभी का अब नए सिरे से गठन किया जा रहा है।
वनों की सुरक्षा के लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान वन अधिनियम 2023 के तहत समितियों का पुनर्गठन किया जा रहा है। नवीन समितियों में वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा का पूरा प्रबंधन ग्रामीणों के जिमे किया गया है। ये नई समितियां तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गई है तथा अगले साल 1 अप्रेल से सारा काम इनके द्वारा ही करवाया जाएगा।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी