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स्कूल बना रहे फीस का दबाव, अभिभावक ताक रहे सरकार का ‘मुंह’

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से निशुल्क शिक्षा बाल अधिकार अधिनियम की तर्ज पर बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर से निशुल्क पढ़ाने की योजना बनी हुई है, लेकिन बालिकाओं की पढ़ाई का पुनर्भरण राशि समय पर नहीं होने से जिले की सैकड़ों बालिकाओं को परेशानियां हो रही है।

बूंदीJan 06, 2025 / 12:00 pm

Narendra Agarwal

स्कूल बना रहे फीस का दबाव, अभिभावक ताक रहे सरकार का ‘मुंह’

बालिका शिक्षा

बूंदी.गोठड़ा. बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से निशुल्क शिक्षा बाल अधिकार अधिनियम की तर्ज पर बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर से निशुल्क पढ़ाने की योजना बनी हुई है, लेकिन बालिकाओं की पढ़ाई का
पुनर्भरण राशि समय पर नहीं होने से जिले की सैकड़ों बालिकाओं को परेशानियां हो रही है। सरकार फीस दे तो बालिकाओं को स्कूलों से आए दिन मिलने वाली फटकार से बच सकती है।
जानकारी अनुसार तत्कालीन राज्य सरकार ने करीब चार साल पहले निशुल्क शिक्षा बाल अधिकार की तर्ज पर बालिकाओं की उच्च शिक्षा बाधित नहीं हो इसके लिए इंदिरा महिला शक्ति योजना के तहत नि:शुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत अध्ययनरत बालिकाओं को इस योजना के तहत नि:शुल्क पढ़ाने की व्यवस्था की गई। जिले में चालू शैक्षणिक सत्र में दो सौ से अधिक बालिकाएं निशुल्क अध्ययन कर रही है। इनमें से 181 बालिकाओं को गत शैक्षणिक सत्र 2023/24 की द्वितीय किश्त भी नसीब नहीं हुई है। ऐसे अब गैर सरकारी विद्यालयों के संचालकों द्वारा आए दिन इन बालिकाओं की फीस भरने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। अभिभावक भी सरकार दे तो स्कूल में फीस जमा कराएं लेकिन आलम तो यह है कि गत वर्ष की दूसरी किस्त बकाया है, वहीं इस सत्र की फीस का कोई ठिकाना नहीं है। जबकि अद्र्ध वार्षिक परीक्षा हो गई। ऐसे में स्कूल संचालक फीस को जमा करवाने के लिए बालिकाओं से कह रहे हैं।
यह हैं बूंदी हाल
इंदिरा महिला शक्ति योजना के तहत बूंदी जिले में सत्र 2023-24 में करीब 181 बालिकाओं का दाखिला था। इस सत्र की संख्या भौतिक सत्यापन रिपोर्ट की पुष्टि होने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी, जिसमें बालिकाओं की संख्या बढकऱ सवा दो सौ से अधिक हो जाएगी। इन बालिकाओं की पढ़ाई के लिए राज्य सरकार दो किस्तों डीबीटी योजना के तहत राशि देती है। जिले में अध्यनरत बालिकाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रथम किस्त के रूप में 646313 रुपए बालिकाओं की मां के खाते में आ चुके हैं। द्वितीय किस्त के लिए विभाग द्वारा बिल बनाकर भेज रखें,लेकिन राशि जारी नहीं होने से बालिकाओं को परेशानियां उठानी पड़ रही है।
ऐसे मिलती है पुनर्भरण राशि
निशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा 1 से 8वीं तक नि:शुल्क अध्ययन कर रही बालिकाओं की उच्च शिक्षा बाधित नहीं हो इसके लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने इंदिरा महिला शक्ति के माध्यम से निशुल्क पढ़ाई कर रही बालिकाओं को कक्षा 9वीं से 12वीं तक शिक्षा से जोडऩे के लिए दाखिला देकर निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई। इन बालिकाओं को स्कूल की फीस भरने के लिए बालिका की मां के नाम डीबीटी योजना के माध्यम से बालिकाओं की मां के जनाधार खाते में राज्य सरकार द्वारा निर्धारित फीस व विद्यालय द्वारा ली जा रही फीस में जो भी न्युनतम हो वो राशि सीधे बालिकाओं के माताओं के खाते में जमा हो जाती है। निशुल्क अध्ययन कर बालिकाओं की फीस के पुनर्भरण के लिए शिक्षा विभाग द्वारा भौतिक सत्यापन करवाया जाता है। उसके बाद राशि बालिकाओं को मिलती है।
स्कूलों में पढऩे वाली बालिकाओं से फीस मांगे जाने की जानकारी मिली है।निदेशालय को बजट के लिए कई बार पत्र लिखा जा चुका है। राशि विभाग की ओर से अभिभावकों के खाते में डाली जाती है।
राजेन्द्र व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, बूंदी

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