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मलबे में दफन होती दो हजार साल पुरानी पुरा धरोहर

गुढ़ानाथावतान. क्षेत्र के प्रसिद्ध प्राकृतिक एवं पौराणिक धार्मिक आस्था स्थल भीमलत महादेव के निकट एकमुखी कलात्मक शिवलिंग व मंदिर मलवे में तब्दील हो गया है। यह प्राचीन शिवमंदिर पूरी तरह से एक मलबे का ढेर बन चुका है तथा कलात्मक एक मुखी शिवलिंग खण्डित अवस्था में है। इस शिवलिंग पर शिव की ध्यान योग मुद्रा […]

बूंदीFeb 22, 2025 / 06:47 pm

पंकज जोशी

मलबे में दफन होती दो हजार साल पुरानी पुरा धरोहर

गुढ़ानाथावतान क्षेत्र के भीमलत महादेव के निकट प्राचीन मंदिर के मलवे का ढेर।

गुढ़ानाथावतान. क्षेत्र के प्रसिद्ध प्राकृतिक एवं पौराणिक धार्मिक आस्था स्थल भीमलत महादेव के निकट एकमुखी कलात्मक शिवलिंग व मंदिर मलवे में तब्दील हो गया है। यह प्राचीन शिवमंदिर पूरी तरह से एक मलबे का ढेर बन चुका है तथा कलात्मक एक मुखी शिवलिंग खण्डित अवस्था में है।
इस शिवलिंग पर शिव की ध्यान योग मुद्रा में सुंदर प्रतिमा उत्कीर्ण है। लंबे समय से इस मंदिर के खंडित शिवलिंग की पुनर्स्थापना एवं जीर्णोद्धार के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को अवगत कराया गया है, लेकिन किसी ने इस कार्य में गंभीरता नहीं दिखाई। इस ध्वस्त शिवालय एवं खण्डित आदमकद एकमुखी शिवलिंग के कारण इस स्थान का नाम खंडेरिया पड़ा। यहां पर एक छोटी बस्ती भी है, जिसका नाम भी इसी मंदिर के कारण खंडेरिया पड़ा। मंदिर का निर्माण गोलाकार में हुआ था और आशंका जताई जा रही है कि इसे विदेशी आक्रांताओं ने ध्वस्त किया होगा। इस शिवलिंग व शिवालय के अध्ययन के लिए पुरातत्व विभाग से वैज्ञानिक उत्खनन की मांग की गई थी, लेकिन कोरोना काल में बजट पास न होने के कारण कुछ कार्यवाही नहीं हो पाई।
भारतीय पुरातत्व विभाग के गोविन्द मीणा व मनोज द्विवेदी ने इस शिवालय का अवलोकन भी किया था और इसकी बड़े आकार की ईंटों के आधार पर इसे 1800 से 2200 साल के बीच में निर्मित होने की बात कही थी। पुरातत्व विभाग यहां के कलात्मक खण्डित शिवलिंग को किसी म्यूजियम में रखने के लिए ले जाना चाहता था, लेकिन स्थानीय लोगों व पुरातत्व से जुड़े लोगों ने इसका विरोध किया, जिससे शिवलिंग उसी हालत में है। पुरातत्व विभाग की टीम के सर्वे से उम्मीद थी कि जिले की इस महत्वपूर्ण पुरा संपदा का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार होगा, लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी। इस कार्य में सेव ऑवर हेरिटेज फाउंडेशन के द्वारा भी प्रयास किया जा रहा है और उम्मीद है कि जल्दी ही इस प्राचीन धरोहर का उत्खनन कार्य प्रारंभ होगा।
बाणगंगा नदी के किनारे था कलात्मक मंदिर
खंडेरिया महादेव मंदिर प्राचीन बाणगंगा नदी के किनारे पर बना हुआ है, जो अब मलबे में तब्दील हो गया है। यहां पास ही में रॉक पेंटिंग भी मिली है, जिससे इस स्थान के अति प्राचीन होने की संभावना है। इस प्राचीन स्थल के नजदीकी पौराणिक स्थानों में भाला कुई व सीता कुंड धार्मिक आस्था स्थल है।
जिले के सबसे प्राचीन शिव मंदिर में शामिल खंडेरिया महादेव स्थल के वैज्ञानिक उत्खनन एवं अध्ययन के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि इस पुरा धरोहर के मलबे में छिपे रहस्य एवं इसके निर्माण काल की वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
अरिहंत सिंह चरड़ास, फाउंडर, सेव ऑवर हेरिटेज फाउंडेशन।

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