scriptMP-महाराष्ट्र बॉर्डर पर विश्व का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, 73 गांवों को मिलेगा फायदा | World largest project for ground water recharge to be on MP and Maharashtra border | Patrika News
बुरहानपुर

MP-महाराष्ट्र बॉर्डर पर विश्व का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट, 73 गांवों को मिलेगा फायदा

World largest project: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर स्थित दो जिलों के बीच विश्व का सबसे बड़ा ग्राउंड वाटर रिचार्ज प्रोजेक्ट बनने जा रहा है। इसकी लागत 19,244 करोड़ रुपए होगी।

बुरहानपुरFeb 09, 2025 / 03:12 pm

Akash Dewani

World largest project: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की जल समस्या के समाधान के लिए एक ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत होने जा रही है। ताप्ती नदी के बेसिन में विश्व का सबसे बड़ा ग्राउंड वाटर रिचार्ज प्रोजेक्ट (World largest Groundwater Recharge project) तैयार किया जाएगा, जिससे न केवल भूजल स्तर में सुधार होगा बल्कि, सिंचाई और पेयजल की दिक्कत भी दूर होगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 19,244 करोड़ रुपए है, जिसमें केंद्र सरकार 90% वित्तीय सहायता दे सकती है।

ताप्ती नदी के पानी का संरक्षण

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार मिलकर ताप्ती नदी पर एक मेगा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही हैं, जो दोनों राज्यों के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश के बुरहानपुर और महाराष्ट्र के जलगांव जिले की चोपड़ा तहसील के बीच स्थित दो पहाड़ियों में 250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जमीन के नीचे पानी जमा करेगा। इसे देश का पहला और दुनिया का सबसे बड़ा भूजल पुनर्भरण परियोजना (ग्राउंड वाटर रिचार्ज प्रोजेक्ट) बताया जा रहा है।
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73 गांवों को मिलेगा परियोजना का फायदा

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य भूजल स्तर को बनाए रखना और किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना है। इससे न केवल जल संकट दूर होगा बल्कि, खेतों की उपज भी बढ़ेगी। यह प्रोजेक्ट उन इलाकों के लिए संजीवनी साबित होगा, जहां पानी की कमी से खेती प्रभावित होती है। बता दें कि, 1986 में ताप्ती नदी पर बांध बनाने की योजना बनी थी, इसमें 73 गांवों के डूबने की आशंका थी। इस कारण बांध पर काम को रोक दिया गया था। अब इस नई परियोजना के तहत एक छोटा बांध बनाया जाएगा, जिससे इन गांवों को बचाया जा सकेगा और जल संरक्षण भी संभव होगा।
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लागत का 90% पैसा केंद्र सरकार देगी

मिली जानकारी के अनुसार, इस मेगा प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार राष्ट्रीय परियोजना के रूप में मान्यता देकर इसकी लागत की 90 प्रतिशत फंडिंग कर सकती है। इससे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को केवल 10 प्रतिशत खर्च वहन करना होगा। इसका मतलब ये है कि केंद्र सरकार 17,300 रुपए और दोनों राज्य सरकारें 1924 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट में लगाएंगी। यह परियोजना जल संकट से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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