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कार मॉडिफिकेशन कराने से पहले जान लें ये 5 बातें, वरना बीमा क्लेम में हो सकती है बड़ी दिक्कत!

Car Modification and Insurance: स्टाइल के चक्कर में करवा रहे हैं कार मॉडिफिकेशन? जरा रुकिए! ये 5 बदलाव इंश्योरेंस क्लेम में बड़ा झटका बन सकते हैं। जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर।

भारतMay 19, 2025 / 03:33 pm

Rahul Yadav

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Car Modification and Insurance

Car Modification: बहुत से लोग अपनी कार को फैशन में अलग ट्रेंडी दिखाने के लिए उसमें बदलाव (मॉडिफिकेशन) करवाते हैं। कोई कार का रंग बदलवाता है, कोई इंजन अलग लगवाता है, तो कोई सस्पेंशन या ब्रेक को अपग्रेड करवा लेता है। लेकिन इन बदलावों का असर आपको कार के इंश्योरेंस पर भी पड़ता है। अगर आपने इंजन, ब्रेक, सस्पेंशन, पेंट आदि में कोई बदलाव किया है तो उससे आपके इंश्योरेंस क्लेम पर भी असर पड़ सकता है। कई बार इंश्योरेंस होने पर भी क्लेम मिलने में दिक्कत हो सकती है।

Car Modification and Insurance: बीमा पर इसलिए पड़ता है फर्क

कार में मॉडिफिकेशन से इंश्योरेंस प्रीमियम (बीमा की कीमत) बढ़ जाता है क्योंकि कंपनी को लगता है कि अब गाड़ी में खतरा ज्यादा है। इसलिए इसे खरीदने के लिए यह जानना जरूरी है कि कार में कौनसे बदलाव करने से इंश्योरेंस पर असर पड़ता है और उन बदलावों की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी को देना क्यों जरूरी है।

मॉडिफिकेशन का क्या असर होगा?

व्हील्स में बदलाव – कार के व्हील्स बदलने से उसका लुक बेहतर होता है और कीमत भी बढ़ जाती है। अगर आप नए अलॉय व्हील्स लगवाते हैं तो इससे कार की हैंडलिंग और स्पीड भी बढ़ सकती है। इंश्योरेंस प्रीमियम भी बढ़ेगा।
ब्रेक-सस्पेंशन में बदलाव – कार के ब्रेक और सस्पेंशन उसके कंट्रोल के लिए बहुत जरूरी हैं। अगर आप इनमें बदलाव करते हैं, जैसे अपग्रेडेड ब्रेक या नया सस्पेंशन लगवाते हैं, तो कार का परफॉर्मेंस बढ़ जाता है। इसकी सूचना इंश्योरेंस कंपनी को देनी पड़ती है। कंपनी यह भी देखती है कि मॉडिफिकेशन कहां तक किया गया है और इसके हिसाब से प्रीमियम का आकलन होता है।
इंजन में बदलाव – अगर आप कार के इंजन को और बेहतर बनाते हैं, जैसे टर्बो, सुपरचार्जर या नाइट्रस ऑक्साइड लगवाते हैं तो कार की स्पीड और पिक-अप तेज़ होती है। तेज़ स्पीड से जोखिम बढ़ता है, इसलिए इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ जाता है।
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पेंट वर्क – कार का रंग बदलना या उस पर रेसिंग डिज़ाइन, स्टिकर जैसे आकर्षक बदलाव करवाना स्टाइलिश लग सकता है, पर इंश्योरेंस में इसका असर पड़ता है। इसकी जानकारी कंपनी को न देने पर पेंट को इंश्योरेंस में शामिल नहीं किया जाएगा।
कार का इंटीरियर – स्टीयरिंग व्हील, ऐडल, सीट्स या साउंड सिस्टम में बदलाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी क्वालिटी और कीमत के आधार पर इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ता है।

नॉन-स्टैंडर्ड इंजन – कार का इंजन इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभाता है। अगर आप नॉन-स्टैंडर्ड इंजन लगवाते हैं तो जोखिम बढ़ता है। इंजन के कार के मॉडल, ब्रांड और निर्माण वर्ष को देखकर प्रीमियम तय करते हैं।

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