आवारा गौवंश से बिगड़ी तस्वीर
हर साल सैकड़ों सडक़ हादसे इन मवेशियों की वजह से होते हैं। जिले में सालाना औसतन 250 से अधिक सडक़ दुर्घटनाएं दर्ज होती हैं, जिनमें 20 प्रतिशत से ज्यादा दुर्घटनाएं आवारा गौवंश के कारण होती हैं। खजुराहो एयरपोर्ट रोड गायों और भैंसों के झुंड आम नजारा बन चुके हैं। तेज रफ्तार वाहनों से टकराकर मवेशी ही नहीं, बल्कि राहगीर और पर्यटक भी गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं।
नहीं थम रहे हादसे
खजुराहो से बमीठा और खजुराहो झांसी फोरलेन पर आवारा मवेशियों से हादसे थम नहीं रहे हैं। हालांकि अब हादसो में कमी आई है। लेकिन अभी भी हर साल औसतन पांच बड़े हादसे और उनमें मौत के मामले सामने आ रहे हैं। खजुराहो एनएच पर आवारा पशुओं के कारण बीते वर्ष जुलाई में कुल नौ लोगों की जान जा चुकी है और सात लोग घायल हो चुके हैं। बताया गया कि फोरनलाइन रोड पर रात को आवारा पशु (गाय) बैठी हुई थी, जिनको बचाने के चक्कर में टैक्सी ड्राइवर ने खड़े हुए ट्रक के नीचे टैक्सी को जा मारा। इसमें सात लोगों की मौत हो गई और 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, इस वर्ष गाय को बचाने के चक्कर में ट्रक ने बस को टक्कर मार दी। जिससे बस अनियंत्रित होकर खाई में गिरी, जिसमें एक छात्र की मौत हो गई। इसी प्रकार के एक अन्य एक्सीडेंट में खजुराहो से झांसी रोड रोड पर बमीठा के पास बाइक पर तीन लोग बैठ थे। गाय को बचाने के चक्कर में एक गाड़ी से टकरा गए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से घायल हो गया। मंगलवार को भी आवारा मवेशियों को बचाने के चक्कर में अज्ञात वाहन ने बाइक सवार मजदूर को टक्कर मार दी। जिससे उसकी मौत हो गई।
करोड़ों खर्च, फिर भी सडक़ों पर मवेशी
जिले में गौवंश के पुनर्वास के लिए ग्रामीण विकास विभाग और जिला पंचायत के माध्यम से वर्ष 2019 से लेकर अब तक 170 गौशालाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं, जिनमें 105 गौशालाओं का निर्माण पूरा हो चुका है। इनमें से 69 को चारे की राशि भी दी गई है, फिर भी मवेशी सडक़ों पर ही भटकते दिखाई देते हैं। बारह अनुदान प्राप्त गौशालाओं में से केवल 8 सक्रिय रूप से संचालित हैं, शेष या तो बंद हैं या सिर्फ नाम के लिए चालू हैं। इनमें से बुन्देलखंड गौशाला और परमानंद गौशाला जैसे कुछ ही केंद्र हैं जहां व्यवस्था ठीक है।
अभियान चलाकर हटाए 1500 गौवंश, लेकिन सुधार नहीं
सडक़ों पर घूम रहे आवारा पशुओं को गौशाला में शिफ्ट करने छह महीने पहले विशेष अभियान चलाया गया। साथ ही मुनादी कराकर पालकों से पशुओं को खुले में नही छोडऩे की अपील की गई। राजनगर और खजुराहो क्षेत्र के लगभग 1500 आवारा पशुओं को जो ग्राम खर्रोही, जटकरा, बेनीगंज, टिकरी, पीरा, बमीठा सहित विभिन्न ग्रामों में सडक़ों पर घूम रहे थे। जिन्हें हांका लगवा कर और वाहन से गौशालाओं में शिफ्ट करवाया गया है। लेकिन इससे भी हालात नहीं सुधरे हैं।
हादसों में मवेशियों की हो रही मौत, आंकड़े नहीं
जानकारों के अनुसार हर साल छतरपुर जिले में 500 से ज्यादा गौवंश सडक़ हादसों में मारे जाते हैं, लेकिन इन आंकड़ों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। गौ चिकित्सालय चला रहे रविराज सिंह के मुताबिक वे हर साल 700 से ज्यादा घायल मवेशियों का इलाज करते हैं, जिनमें आधे से ज्यादा की मृत्यु हो जाती है।
पर्यटकों के सामने किरकिरी
एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही पर्यटकों को मवेशियों का झुंड देखने को मिलते है, जो पर्यटन की ब्रांड छवि को सीधा नुकसान पहुंचा रहा है। कई बार विदेशी पर्यटक गाइडों से पूछते हैं कि क्या सरकार के पास इन जानवरों की देखभाल की व्यवस्था नहीं है?बावजूद इसके कि सरकारी योजनाओं और घोषणाओं पर करोड़ों खर्च हुए हैं, आज भी स्थिति जस की तस है। गौशालाओं की निगरानी, चारे-पानी की व्यवस्था और गौवंश के रेस्क्यू की कोई ठोस प्रणाली मौजूद नहीं है।
एयरपोर्ट में आवारा मवेशियों का डेरा वायरल
रैंकिंग में खजुराहो एयरपोर्ट को प्रदेश में पहला और देश में दसवां स्थान मिला है। बावजूद इसके यहां पर ये हालात हैं कि एयरपोर्ट के बाहर और एंट्री गेट के पास भी मवेशी बैठे रहते हैं। साथ गोवंश एअरपोर्ट परिसर, टर्मिनल बिल्डिंग के पास भी बैठे रहते हैं। एक तरफ तो गोवंश हाईवे पर न बैठे। इसके लिए सरकार ने करोड़ों रुपए गोशालाओं के निर्माण पर खर्च कर रही है। वहीं दूसरी ओर राज्य के टॉप क्लास एयरपोर्ट पर मवेशियों का जमावड़ा है। खजुराहों एअरपोर्ट डायरेक्टर संतोष सिंह ने कहा कि ये जो फोटोज वायरल हो रही हैं। वह पुरानी हैं। फिर भी मैं जांच करवा रहा हूं।
स्वसहायता समूहों को सौंप रहे जिम्मेदारी
जिले में आवारा गौवंश सडक़ों पर दुर्घटना और खेतों में फसल चौपट करने का कारण बने हुए हैं। इस समस्या के समाधान के लिए जिला पंचायत ने गौशालाओं का संचालन महिला स्वसहायता समूहों को देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। गौशाला की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूह ले रही हैं। जिससे आवारा मवेशियों की समस्या का निदान होगा और महिलाएं गोशाला की जमीन का उपयोग कर अपनी आय भी बढ़ा सकेंगी।