गांवों में फैला रहे नेटवर्क
गांव-गांव में गुटखा बनाने की अवैध फैक्ट्रियों का नेटवर्क लगातार बढ़ता जा रहा है। इन माफियाओं ने छोटे-छोटे गांवों में अपनी जड़ें फैला दी हैं, जहां पर स्थानीय लोगों से सस्ते दरों पर गुटखा बनाने का काम करवाया जा रहा है। इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपाय के काम कराया जा रहा है, और इनकी श्रमिकों की स्थिति भी काफी खराब है। कई जगहों पर तो ये अवैध फैक्ट्रियां ऐसे स्थानों पर संचालित की जा रही हैं जहां पर न तो किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य के मानक पूरे किए गए हैं।
नौगांव और हरपालपुर अवैध गुटखा निर्माण कारोबार का मुख्य गढ़
छतरपुर जिले के नौगांव और हरपालपुर में अवैध गुटखा निर्माण का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने का लाभ उठाते हुए गुटखा माफियाओं द्वारा नौगांव व हरपालपुर इलाके में नगर और गांव में खेतों में बड़ी कंपनियों के नकली पान मसाले, सुपारी और तंबाकूयुक्त गुटखों का निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। यूपी प्रशासन की सख्ती के बाद नौगांव व हरपालपुर क्षेत्र अवैध गुटखा माफियाओं के लिए पहली पसंद बन गया है। यही वजह है कि प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद अवैध गुटखा कारोबार धडल्ले से चल रहा है।
यूपी में खपने वाला 90 प्रतिशत गुटखा बन रहा हमारे जिले में
उत्तर प्रदेश में बिकने वाले 90 प्रतिशत अवैध गुटखा नौगांव और हरपालपुर की अवैध फैक्ट्रियों में बन रहा है। प्रशासन द्वारा मिक्स गुटखा पर रोक लगाए जाने के बावजूद, लाइसेंसधारी व्यापारी पान मसाला और तंबाकू अलग-अलग बनाने लगे हैं, जबकि बिना लाइसेंस के माफिया अपनी मिक्स गुटखा मशीनें लगाकर तंबाकूयुक्त गुटखा बनाकर बेच रहे हैं। इन फैक्ट्रियों से रोजाना 100 बोरा से अधिक अवैध गुटखा तैयार किया जा रहा है, जिसे मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के 4 जिलों में भेजा जा रहा है।
स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा
अवैध गुटखा उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स और अन्य हानिकारक पदार्थों के सेवन से लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें से कई लोगों को कैंसर, मुंह की बीमारियां और पाचन संबंधी समस्याएं हो रही हैं। इस पूरे गुटखा व्यापार का प्रमुख कारण इसके सस्ते दाम और आसानी से उपलब्धता है।
पत्रिका व्यू
छतरपुर जिले में इस अवैध गुटखा कारोबार के बढ़ते जाल को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इस समय प्रशासन की ओर से कुछ जांच शुरू की गई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह कदम पर्याप्त होंगे? क्या इन अवैध गुटखा फैक्ट्रियों और माफियाओं को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से प्रतिबद्ध है? अभी तक स्थानीय पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई धीमी रही है, और गुटखा माफिया की बढ़ती ताकत को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या उन्हें रोका जा सकेगा? खाद्य सुरक्षा और पुलिस विभाग को मिलकर इस अवैध गुटखा कारोबार के खिलाफ गंभीर कार्रवाई करनी होगी, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके और जिले के नागरिकों को इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सके।
फैक्ट फाइल
गुटखा कारोबार-200 करोड़
अवैध गुटखा का कारोबार- 80 करोड़
मिक्स मसाला कारोबार- 20 करोड़
तंबाकू कारोबार- 30 करोड़
नौगांव इलाके में कार्रवाई- 5 प्रतिवर्ष
अवैध सप्लाई- 4 जिलो में
इनका कहना है
अवैध गतिविधियों की जानकारी मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई है। अवैध रूप से गुटखा बनाने की जांच के निर्देश दिए गए हैं। नौगांव, हरपालपुर और लवकुशनगर में टीम ने कार्रवाई की है।
पार्थ जैसवाल, कलेक्टर