सबसे ज्यादा जाम बिजावर रोड और पत्रा रोड पर
शहर में सबसे अधिक जाम की स्थिति बिजावर नाका और पत्रा रोड के छत्रसाल चौराहे पर बनती है। विशेषकर शाम के समय जब ठेले, ई-रिक्शा और अन्य वाहनों की आवाजाही बढ़ जाती है तो ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो जाता है। ये क्षेत्र ट्रैफिक व्यवस्था के लिहाज से सबसे संवेदनशील हैं।
यातायात थाने में स्टाफ की भारी कमी
छतरपुर यातायात थाना में कुल 64 पद स्वीकृत हैं, लेकिन फिलहाल सिर्फ 38 पद ही भरे हुए हैं। सूबेदार के तीनों पद खाली हैं। एकमात्र आरआई ही थाना प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। एएसआई के 4 पद और प्रधान आरक्षक के 14 पद भरे हैं, जबकि 19 आरक्षक तैनात हैं, जिनमें सिर्फ एक महिला आरक्षक है। दिलचस्प बात यह है कि इसी सीमित स्टाफ से नौगांव की ट्रैफिक चौकी को भी मैनेज किया जा रहा है।
सिर्फ 9 स्थानों पर ड्यूटी, बाकी पर ट्रैफिक बेकाबू
शहर में बस स्टैंड नंबर 2, फव्वारा चौक, मोतीमहल होटल, नारायणपुरा तिराहा, चौक बाजार, बडक़ुल चौक, महल चौराहा, छत्रसाल चौराहा और आकाशवाणी तिराहा जैसे 9 प्वाइंटों पर ड्यूटी लगाई जाती है, जबकि ट्रैफिक नियंत्रण के लिए कम से कम 20 प्वाइंटों की जरूरत है। इन प्वाइंटों पर भी सुबह-शाम केवल 18 जवान ही तैनात होते हैं, जिससे दबाव के समय ट्रैफिक संभालना मुश्किल हो जाता है।
सिग्नल बंद, चौक-चौराहों पर नहीं नियंत्रण
शहर के ट्रैफिक नियंत्रण के लिए लगभग 45 लाख रुपए खर्च कर चार प्रमुख स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे, जिनमें फव्वारा चौक, पन्ना नाका, छत्रसाल चौराहा और बस स्टैंड प्रमुख हैं। इनमें से सिर्फ एक सिग्नल आकाशवाणी तिराहा का ही चालू था, लेकिन अब वो भी बंद है। सिग्नल बंद होने के कारण चौक-चौराहों पर ट्रैफिक एक-दूसरे में उलझता रहता है।
खजुराहो और नौगांव की यातायात चौकियां भी बंद
खजुराहो में पर्यटकों की सुविधा के लिए पश्चिम मंदिर समूह के सामने ट्रैफिक पुलिस चौकी स्थापित की गई थी। इसमें पांच जवानों की तैनाती होती थी, लेकिन अब वह भी बंद कर दी गई है। एसडीओपी नवीन दुबे ने स्वीकार किया कि ट्रैफिक पुलिस बल न होने के कारण खजुराहो थाने के स्टाफ से काम चलाया जा रहा है। नौगांव में भी पहले चार जवानों की ट्रैफिक चौकी थी, अब वहां भी एक मात्र आरक्षक को छतरपुर से भेजा जा रहा है।
जवाबदेही तय नहीं, सुधार की योजनाएं अधूरी
ट्रैफिक विभाग और नगर पालिका ने शहर की ट्रैफिक समस्या को सुलझाने के लिए कई योजनाएं तो बनाई हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन कागजों तक सीमित है। शहर में अब तक कोई स्थायी पार्किंग स्थल विकसित नहीं किया गया है। अव्यवस्थित पार्किंग से जाम और भी बढ़ जाता है। ई-रिक्शा और ऑटो के लिए 9 निर्धारित रूट बनाए गए हैं, लेकिन इन पर न तो निगरानी है और न ही कोई पालन करा रहा है।
इनका कहना है
ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए एक विस्तृत ब्लूप्रिंट तैयार किया जा रहा है। आने वाले समय में सभी प्रमुख चौराहों का चौड़ीकरण किया जाएगा, कुछ का हो भी गया है। ट्रैफिक सिग्नल सुधारे जाएंगे और पार्किंग व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा। बृहस्पति साकेत, यातायात प्रभारी
फैक्ट फाइल
शहर में रजिस्टर्ड वाहन- 3 लाख से अधिक ट्रैफिक सिग्नल- 4 नेशनल हाइवे ट्रैफिक दबाव- 20000 वाहन प्रतिदिन ऑटो/ई-रिक्शा अनुमानित संख्या- 5000 बसें- 500 ट्रक/भारी वाहन- 2500 फोटो- सीएचपी 050725-73- ऐसे आमने सामने आ रहे वाहन सीएचपी 050725-74-ऐसे आमने सामने आ रहे वाहन