30 साल पहले रखी गई थी नींव
इस केंद्र की नींव डॉ. रामचरण विद्यार्थी ने करीब तीन दशक पहले रखी थी। उन्होंने आग, पानी, वायु, मिट्टी और आकाश इन पंचतत्वों के संतुलन को शरीर की सभी बीमारियों का समाधान माना। उनके प्रयासों से आज यह केंद्र बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों के लिए आशा की किरण बन चुका है।
बिना दवा के मिल रही राहत
डॉ. आरपी प्रजापति बताते हैं, हमारा इलाज पूरी तरह नैचुरोपैथी आधारित है। इसमें रोग को जड़ से खत्म करने के लिए शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया को जाग्रत किया जाता है न सर्जरी, न दवाएं। यहां आने वाले मरीज गठिया, स्लिप डिस्क, साइटिका, मोटापा, अपच, तनाव, सोराइसिस,थॉयराइड, बैक पैन, एक्जिमा और नींद की समस्याओं जैसे रोगों से निजात पा चुके हैं।
ऐसी है उपचार की विधियां
डॉ. नीलम प्रजापति कहती हैं, बीमारी तब होती है जब शरीर में पंचतत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। हम इस असंतुलन को प्राकृतिक विधियों से ठीक करते हैं। – मिट्टी पट्टी और मिट्टी लेप -जलनेति, कुंजल क्रिया और रबर नेती -एनिमा, भाप स्नान, कटि स्नान -गर्म-ठंडा सेक और स्नान-योग और आहार सुधार
नई पीढ़ी के लिए संदेश
इस केंद्र का अनुभव बताता है कि स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति से जुड़ाव जरूरी है, न कि केवल आधुनिक मशीनों और दवाओं पर निर्भरता। प्रजापति दंपति का यह कार्य युवाओं के लिए भी एक संदेश है कि स्वास्थ्य पाने का सबसे सीधा रास्ता जीवनशैली में संतुलन है। छतरपुर का गांधी आश्रम, जो कभी बापू के विचारों का केंद्र था, आज भी उसी परंपरा को निभा रहा है। डॉ. विद्यार्थी से लेकर डॉ. प्रजापति दंपति तक, यह सेवा न केवल चिकित्सा का एक अलग रास्ता दिखा रही है, बल्कि आधुनिक भागदौड़ में फंसे समाज को प्राकृतिक चिकित्सा का सरल और प्रभावी समाधान भी दे रही है। इनका कहना है पंच तत्व ही शरीर का मूल है। इन तत्वों के जरिए ही बीमारियों का इलाज नेचुरोपैथी में किया जाता है। डॉ. प्रजापति दंपति समर्पण भाव से सेवा कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि प्रकृति से लोग जुड़े और उसका लाभ ले सकें।
दमयंती पाणि, सचिव, गांधी आश्रम छतरपुर