काठन सिंचाई परियोजना के तहत बड़ामलहरा और घुवारा तहसील के 74 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी देना था, लेकिन इसके निर्माण में दो साल से कोई प्रगति नहीं हो पाई है। दरअसल, काठन नदी पर आमखेरा गांव के पास बांध का निर्माण प्रस्तावित था, दो साल पहले ही जब बांध के लिए टेंडर किए गए थे, तब भी काम शुरू नहीं हो सका। कारण यह है कि जिस स्थान पर बांध निर्माण किया जाना है, वहां ड्रिलिंग की समस्या सामने आई है। जल संसाधन विभाग ने डीपीआर बनाने के दौरान इसका अध्ययन नहीं किया था, जिससे यह समस्या अब उत्पन्न हो रही है।
समाधान के लिए सर्वे किया
इस समस्या को हल करने के लिए भारतीय जल विज्ञान संस्था रुडक़ी और जीएसआई (जियोग्राफिकल इंफॉरमेशन सिस्टम) लैब ने सर्वेक्षण शुरू किया है। अब जीएसआई की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जीएसआई रिपोर्ट आने के बाद ही बांध निर्माण के लिए उचित निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने रखी थी आधारशिला
काठन सिंचाई परियोजना की आधारशिला 16 सितंबर 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्राम लिधौरा में उपचुनाव सभा के दौरान रखी थी। उन्होंने इस परियोजना के लिए 394 करोड़ रुपए की राशि की घोषणा की थी और साथ ही क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए 150 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया था। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद स्थानीय किसानों में काफी उत्साह था, लेकिन अब तक परियोजना पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इन गांवों को मिलेगा लाभ
काठन सिंचाई परियोजना के तहत बड़ामलहरा और घुवारा तहसील के 74 गांवों को सिंचाई की सुविधा दी जानी थी। इसमें घुवारा तहसील के पनवारी, चूरामनखेरा, मूसनखेरा, झिंगरी, माखनपुरा, रामपुरा और कुंवरपुरा सहित 19 गांव, भगवां क्षेत्र के 16 गांव जैसे भगवां, जनकपुरा, मथानीखेरा, कुसाल, और बड़ामलहरा क्षेत्र के लिधौरा, पथरिया, पिपराकला, ग्वालगंज, सैरोरा, वीरों, धरमपुरा, बमनी सहित 39 गांवों को लाभ मिलने वाला था। इस परियोजना से वर्षों से सूखा ग्रस्त क्षेत्र में सिंचाई की समस्या का हल निकल सकता था, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका।
निर्माण एजेंसी और कार्य की स्थिति
काठन सिंचाई परियोजना का निर्माण जल संसाधन विभाग द्वारा किया जाना था, और इस योजना की अनुमानित लागत 394 करोड़ रुपये थी। हालांकि, दो साल पहले टेंडर होने के बावजूद कार्य की प्रगति शून्य रही है। इस परियोजना का कार्य 18 माह में पूरा होना था, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस परिणाम नहीं आया है।
क्या कहती हैं जिम्मेदार अधिकारी?
जल संसाधन विभाग की कार्यपालन यंत्री लता वर्मा का कहना है, “जीएसआई रिपोर्ट जल्द ही आ जाएगी। यदि रिपोर्ट में बांध निर्माण के लिए कैमिकल ट्रीटमेंट करके स्थल की स्थिति सुधारने का सुझाव मिलता है, तो वहीं पर बांध का निर्माण किया जाएगा। हम जीएसआई रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, ताकि सही निर्णय लिया जा सके।”
पत्रिका व्यू
काठन सिंचाई परियोजना का सपना किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव लाने की उम्मीद था, लेकिन पिछले साढ़े चार सालों में इस परियोजना की शुरुआत नहीं हो पाई है। अब जल संसाधन विभाग और जीएसआई के सर्वेक्षण की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। यदि समय रहते इस परियोजना पर काम शुरू नहीं हुआ, तो किसानों का पलायन और कृषि संकट बढ़ सकता है, जो कि पहले से ही एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।