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छतरपुर

एक घंटे की बारिश, नौ घंटे का अंधेरा: छतरपुर शहर में बिजली व्यवस्था ध्वस्त, जनता का फूटा आक्रोश, महिलाओं-बच्चों ने किया घेराव

बिजली कंपनी के तमाम दावों और अधिकारियों की तैयारियों की पोल तब खुल गई जब आधे शहर को अंधेरे में डुबो दिया गया और यह अंधेरा एक-दो घंटे नहीं, बल्कि नौ घंटे तक किस्तों में जारी रहा।

छतरपुरJun 16, 2025 / 10:30 am

Dharmendra Singh

chakak jam

महिलाओं का चक्का जाम

शनिवार की शाम शहर में मात्र एक घंटे की बारिश ने बिजली विभाग की मरम्मत व्यवस्था और करोड़ों की मेंटनेंस योजनाओं की सच्चाई को नंगा कर दिया। बिजली कंपनी के तमाम दावों और अधिकारियों की तैयारियों की पोल तब खुल गई जब आधे शहर को अंधेरे में डुबो दिया गया और यह अंधेरा एक-दो घंटे नहीं, बल्कि नौ घंटे तक किस्तों में जारी रहा। हालात यहां तक बिगड़ गए कि लोगों को बिजली कार्यालय का घेराव करना पड़ा, लेकिन न अफसरों के पास जवाब था, न व्यवस्था सुधारने का तंत्र। पूरे प्रकरण ने यह साबित कर दिया कि करोड़ों की मरम्मत महज फाइलों और पेपर्स में हुई, जमीन पर नहीं।

ढाई करोड़ की मरम्मत का सच, पहली बारिश में ही उजागर

बिजली विभाग ने सालभर में शहर की आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने के नाम पर लगभग ढाई करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन शनिवार को हुई एक घंटे की बरसात ने सबकुछ ध्वस्त कर दिया। बारिश के साथ ही शाम छह बजे शहर के अधिकतर हिस्सों की बिजली सप्लाई ठप हो गई। बारिश रुकने के बाद भी घंटों तक बिजली बहाल नहीं हो सकी। नतीजतन शहरवासी घंटों तक मोबाइल की रोशनी में काम चलाते रहे और उमस भरी रात में बिजली के बिना तड़पते रहे।

हेल्पलाइन नंबरों ने भी छोड़ा साथ, जनता हुई बेबस

सबसे शर्मनाक स्थिति तब बनी जब बिजली कंपनी के हेल्पलाइन नंबर भी बंद पाए गए। लोग लगातार फोन करते रहे लेकिन किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका। यह तकनीकी लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैये का जीता-जागता प्रमाण था। मजबूर होकर रात नौ बजे के बाद आक्रोशित नागरिक बिजली दफ्तर पहुंच गए और वहां घेराव शुरू कर दिया। अधिकारियों की घोर अनुपस्थिति और जवाबदेही से बचने की कोशिशों ने मामला और बिगाड़ दिया।

पुलिस को बुलाना पड़ा, फिर भी बिजली नहीं लौटी

स्थिति बिगड़ते देख बिजली विभाग ने पुलिस बुला ली। पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई समाधान न निकलने पर हंगामा देर रात तक जारी रहा। रात 12 बजे तक भी आधे शहर में बिजली नहीं लौट सकी और जहां कुछ घंटों के लिए बिजली आई, वहां भी रात 1.40 बजे फिर से कटौती हुई, जो सुबह छह बजे तक बनी रही। लेकिन समस्याएं यहीं नहीं थमीं, सुबह सात बजे फिर डेढ़ घंटे का ब्लैकआउट हुआ और कुछ कॉलोनियों में बिजली सुबह 11 बजे तक नहीं लौट सकी।

कई इलाकों में अब भी अधूरी बहाली, मेंटनेंस के नाम पर छलावा

इस आपात स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित इलाके थे। सौरा रोड, बजरंग नगर, छत्रसाल नगर, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पत्रा रोड, अंबेडकर नगर, सिंचाई कॉलोनी, चौक बाजार, शुक्लाना और पठापुर रोड। इन स्थानों पर बिजली सप्लाई बार-बार बाधित होती रही, और अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि असल कारण ट्रांसफॉर्मर खराबी था या केबलिंग फेलियर, लेकिन यह जरूर साबित हुआ कि मेंटेनेंस कार्य पूर्णत: कागजी रहा।

न बिजली विभाग की सफाई, न जवाबदेही तय

पूरे घटनाक्रम के दौरान बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की न तो कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया आई और न ही उन्होंने मीडिया या जनता को कोई भरोसा दिलाया। इस चुप्पी और निष्क्रियता ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि पिछले साल में मेंटेनेंस के नाम पर केवल दिखावा किया गया। खराब केबलों को बदला नहीं गया, ट्रांसफार्मरों की मरम्मत अधूरी रही और नई तकनीकें केवल दस्तावेजों में लागू की गईं। जब एक घंटे की बारिश से पूरे शहर की बिजली व्यवस्था बैठ जाती है, तो यह प्रशासन की घोर विफलता और भ्रष्टाचार का प्रमाण है।

सागर-कानुपर हाइवे पर महिलाओं का चक्का जाम

भीषण गर्मी और लगातार हो रही बिजली कटौती से नाराज़ महोबा रोड क्षेत्र की महिलाओं ने रविवार शाम 6 बजे सागर-कानुपर हाइवे पर चक्का जाम कर दिया। बिजली विभाग द्वारा बार-बार शिकायत करने के बावजूद समाधान न मिलने से आक्रोशित लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिससे हाइवे पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया।
गांव की महिलाओं और युवाओं ने सड़क पर उतरकर बिजली विभाग के खिलाफ नारेबाज़ी की और कहा कि बिना किसी सूचना के घंटों बिजली बंद रहती है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को भारी परेशानी हो रही है। गर्मी और उमस के बीच बिजली न होने से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब या समाधान नहीं मिला। इसके विरोध में आखिरकार लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा।जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर जाम को हटवाया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद यातायात पुनः बहाल हो सका।प्रदर्शनकारी रानी अहिरवार ने कहा, हम मजबूर होकर सड़क पर उतरे हैं, हमारे बच्चों का हाल बेहाल है। हम चाहते हैं कि बिजली की समस्या का स्थायी समाधान हो। स्थानीय प्रशासन ने विद्युत विभाग को जल्द समाधान के निर्देश देने की बात कही है।

क्या होगी कार्रवाई या फिर अगले साल की बारिश का इंतज़ार?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस घटना से कोई सबक लेगा? क्या दोषियों की पहचान होगी और जवाबदेही तय की जाएगी, या फिर ये सड़ती व्यवस्था अगले साल की पहली बारिश तक फिर से मेकअप के भरोसे रह जाएगी? छतरपुर के नागरिक अब सिर्फ राहत नहीं, जवाब और सुधार चाहते हैं। वरना अगली बार सिर्फ घेराव नहीं, आंदोलन भी हो सकता है।

इनका कहना है

समस्या पर संज्ञान लिया गया है। अधिकारियों की जबावदेही तय की जाएगी। लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना रवैया पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पार्थ जैसवाल, कलेक्टर

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